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रामायण काल में भगवान राम के पुत्र कुश की राजधानी कुशावती को 483 ईसा पूर्व बुद्ध ने अपने अंतिम विश्राम के लिए चुना ।
मल्लों की राजधानी होने के कारण प्राचीनकाल में इस स्थान का अत्यंत महत्व था ।
बौद्ध धर्मावलंबियों के अनुसार लुंबनी , बोधगया और सारनाथ के साथ ही इस स्थान का विशद् महत्व है ।
हिंदू राजाओं के काल में चीन से ह्वेन सांग , फाह्यान और इत्सिंग ने अपने यात्रा वृत्तांत में इस स्थान के गौरव का वर्णन किया है ।
कुशीनगर का सबसे ज्यादा महत्व बौद्ध तीर्थ के रूप में है ।
1876 में यह स्थान एक बार फिर प्रकाश में आया , जब तत्कालीन पुरातत्ववेत्ता लॉर्ड कर्निंघम ने महापरिनिर्वाण मूर्ति की खोज की ।
आइए करें सैर -
कुशीनगर की सीमा में प्रवेश करते ही भव्य प्रवेशद्वार आपका स्वागत करता है ।
इसके बाद आम तौर पर पर्यटकों की निगाह महापरिनिर्वाण मंदिर की ओर पड़ती है ।
कुशीनगर का महत्व महापरिनिर्वाण मंदिर से है ।
इस मंदिर का स्थापत्य अजंता की गुफाओं से प्रेरित है ।
मंदिर के डाट हूबहू अजंता की गुफाओं के डाट की तरह हैं ।
यह मंदिर उसी स्थान पर बनाया गया है , जहाँ से यह मूर्ति निकाली गई थी ।
मंदिर के पूर्व हिस्से में एक स्तूप है ।
यहाँ पर भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार किया गया था ।
मूर्ति भी अजंता के भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण मूर्ति की प्रतिकृति है ।
वैसे मूर्ति का काल अजंता से पूर्व का है ।
इस मंदिर के आसपास कई विहार ( जहाँ बौद्ध भिक्षु रहा करते थे ) और चैत्य ( जहाँ भिक्षु पूजा करते थे या ध्यान लगाते थे ) भग्नावशेष और खंडहर मौजूद हैं जो अशोककालीन बताए जाते हैं ।
मंदिर परिसर से लगा काफी बड़ा सा पार्क है , जहाँ पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है ।
वैसे इस पूरे परिसर में अलौकिक शांति का वातावरण है ।
महापरिनिर्वाण मंदिर से कुछ दूर आगे माथा कुँवर का मंदिर है ।
इसके स्थानीय लोगों में भगवान विष्णु के अवतार होने की मान्यता भी प्रचलित है ।
इस मूर्ति के भी करीब पाँच सौ वर्ष पुराना होने का प्रमाण मिलता है ।
माथा कुँवर की मूर्ति काले पत्थर से बनी है ।
इसकी ऊँचाई करीब तीन मीटर है ।
मूर्ति भगवान बुद्ध के बोधि प्राप्त करने से पूर्व की ध्यान मुद्रा में है ।
यहाँ बुद्ध चिरनिद्रा में हैं -
भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद 16 महाजनपदों में उनकी अस्थियों और भस्म को बाँट दिया गया ।
इन सभी स्थानों पर इन भस्मों और अस्थियों के ऊपर स्तूप बनाए गए ।
कुशीनगर में मौजूद रामाभार का स्तूप इन्हीं में से एक है ।
करीब 50 फुट ऊँचे इस स्तूप को मुकुट बंधन विहार कहा जाता है ।
हालाँकि स्थानीय वाशिंदों में यह रामाभार स्तूप के नाम से ही आज भी जाना जाता है ।
महापरिनिर्वाण मंदिर के उत्तर में मौजूद जापानी मंदिर अपने विशिष्ट वास्तु के लिए प्रसिद्ध है ।
अर्द्धगोलाकर इस मंदिर में भगवान बुद्ध की अष्टधातु की मूर्ति है ।
मंदिर सुबह 10 से शाम 4 बजे तक दर्शनार्थियों के लिए खुला रहता है ।
मंदिर के चार बड़े - बड़े द्वार हैं , जो सभी दिशाओं की ओर बनाए गए हैं ।
इस मंदिर की देखरेख जापान की एक संस्था की ओर से की जाती है ।
जापानी मंदिर के ठीक सामने संग्रहालय है ।
इसमें बुद्धकालीन वस्तुएं , धातुएं , कुशीनगर में खुदाई के दौरान पाई गई मूर्ति , सिक्के , बर्तन आदि रखे गए हैं ।
इसके साथ ही मथुरा और गांधार शैली की दुर्लभ मूर्तियाँ भी यहाँ देखने को मिलेंगी ।
मंदिर में थाई शैली की भगवान बुद्ध की अष्टधातु की मूर्ति है ।
मंदिर का वास्तु थाईलैंड के मंदिरों जैसा ही है ।
इसकी संरक्षिका थाईलैंड की राजकुमारी हैं ।
मंदिर के शीर्ष पर सोने की परत लगाई गई है ।
वाट थाई मंदिर -
वर्तमान में सबसे आकर्षण का केंद्र यहाँ पर हाल ही में निर्मित वाट थाई मंदिर है ।
मंदिर का निर्माण थाईलैंड सरकार के सौजन्य से किया गया है ।
सफेद पत्थरों से बने इस मंदिर के दो तल हैं ।
इस मंदिर में थाई शैली की भगवान बुद्ध की अष्टधातु की मूर्ति है ।
मंदिर का वास्तु थाईलैंड के मंदिरों जैसा ही है ।
इसकी संरक्षिका थाईलैंड की राजकुमारी हैं ।
मंदिर के शीर्ष पर सोने की परत लगाई गई है ।
पौधों का विशेष आकार भी पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है ।
मंदिर परिसर में मौजूद चैत्य सभी के आकर्षण का केंद्र बन जाता है ।
लोग बरबस इस सोने की परत चढ़े चैत्य के साथ फोटो खींचना चाहते हैं ।
कुशीनगर के विस्तार के साथ ही यहाँ पर सबसे अधिक बनाए गए मंदिरों में से एक चीनी मंदिर है ।
मंदिर में भगवान बुद्ध की मूर्ति अपने पूरे स्वरूप में चीनी लगती है ।
इसकी दीवारों पर जातक कथाओं से संबंधित पेंटिंग अत्यंत ही आकर्षक है ।
मंदिर के बाहर सुंदर फव्वारा है ।
महापरिनिर्वाण मंदिर से पहले बीच तालाब में बना भगवान बुद्ध का मंदिर और इसके सामने बना विशाल पगोडा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है ।
जल मंदिर तक जाने के लिए तालाब के ऊपर पुल का निर्माण किया गया है ।
इसमें कछुओं और बतख के साथ ही मछलियों को अठखेलियाँ करते देखना बहुत अच्छा लगता है ।
ठीक सामने मौजूद पगोडा के ऊपर बँधी घंटियाँ सुरम्य और शांत वातावरण में जब बजती हैं तो लगता है कि ये सभी दिशाओं में अहिंसा और प्रेम का संदेश दे रहीं हों ।
जलमंदिर के सामने भगवान शिव को समर्पित बिरला मंदिर मौजूद है ।
दक्षिण भारतीय शैली में बने इस मंदिर में शिव की ध्यान मुद्रा में सफेद संगमरमर की मूर्ति है ।
इसके बगल में ही बिरला धर्मशाला है ।
कैसे पहुँचें ?
कुशीनगर गोरखपुर से 52 किलोमीटर की दूरी पर नेशनल हाईवे नं 28 पर स्थित है ।
यहाँ पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन गोरखपुर रेलवे जंक्शन है ।
गोरखपुर से हर घंटे कुशीनगर ( कसया ) के लिए बसें मिलती रहती हैं ।
गोरखपुर से देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों के लिए ट्रेन की सुविधा उपलब्ध है ।
इसके साथ ही गोरखपुर से दिल्ली , मुंबई और कोलकाता के लिए हवाई सुविधा भी उपलब्ध है ।
दिल्ली और लखनऊ से पर्यटन विभाग की ओर से भी विदेशी और घरेलू पर्यटकों के लिए वाहन और रहने की व्यवस्था की जाती है ।
कहाँ ठहरें ?
कुशीनगर में सैलानियों के ठहरने के लिए हर श्रेणी के आरामदायक होटल मौजूद हैं ।
यहाँ लोटस , निक्को होटल , होटल रेसीडेंसी और पथिक निवास में ठहरने के लिए बेहतर होगा कि पहले से बुकिंग करवा ली जाए ।
इनमें से पथिक निवास उत्तरप्रदेश पर्यटन विकास निगम की ओर से संचालित होता है ।
वहीं धर्मशालाओं में भी साल भर भीड़ रहती है ।
इसमें बिरला धर्मशाला और बुद्ध धर्मशाला प्रमुख हैं ।
इसके अलावा अलग - अलग देशों के मंदिरों की धर्मशाला भी हैं ।
बौद्ध भिक्षुओं के लिए कुछ मंदिरों में विहार की व्यवस्था है ।
युग - युगांतर से उत्तराखंड भारतीयों के लिए आध्यात्मिक शरणस्थल और शांति प्रदाता रहा है ।
प्रागैतिहासिक काल से ऋषि - मुनियों और साधक , परिव्राजकों को यह आकर्षित करता आ रहा है ।
हिमालय प्रकृति का महामंदिर है ।
यहाँ केदारनाथ तीर्थ उत्तराखंड का महत्वपूर्ण स्थल है ।
यहाँ जाते समय पैरों के नीचे यत्र - तत्र हिम राशि खिसकती दिखाई पड़ती है ।
बर्फ के पास ही अत्यंत मादक सुगंध वाले सिरंगा पुष्पकुंज मिलने लगते हैं ।
इनके समाप्त होने पर हरी बुग्याल ' दूब ' मिलती है ।
इसके पश्चात केदारनाथ का हिमनद और उससे निकलने वाली मंदाकिनी अपने में असंख्य पाषाण खंडों को फोड़कर निकले झरनों और फव्वारों के जल को समेटे उद्दाम गति से प्रवाहित होती दिखाई देती है ।
इन सबके ऊपर केदारनाथ का 6 हजार 940 मीटर ऊँचा हिमशिखर ऐसा दिखाई देता है , मानो स्वर्ग में रहने वाले देवताओं का मृत्युलोक को झाँकने का यह झरोखा हो ।
ऋषिकेश से केदारनाथ की दूरी 223 किमी है , जिसमें अंतिम दस किमी का अंश जो गौरीकुंड से केदारनाथ है वह पैदल , घोड़े या पालकी से जाना पड़ता है ।
यह उत्तराखंड का सबसे विशाल शिव मंदिर है , जो कटवाँ पत्थरों के विशाल शिलाखंडों को जोड़कर बनाया गया है ।
ये शिलाखंड भूरे रंग के हैं ।
मंदिर लगभग 6 फुट ऊँचे चबूतरे पर बना है ।
मंदिर के गर्भगृह में अर्धा के पास चारों कोनों पर चार सुदृढ़ पाषाण स्तंभ हैं , जहाँ से होकर प्रदक्षिणा होती है ।
अर्धा , जो चौकोर है , अंदर से पोली है और अपेक्षाकृत नवीन बनी है ।
सभा मंडप विशाल एवं भव्य है ।
उसकी छत चार विशाल पाषाण स्तंभों पर टिकी है ।
गवाक्षों में आठ पुरुष प्रमाण मूर्तियाँ हैं , जो अत्यंत कलात्मक हैं ।
मंदिर के पीछे पत्थरों के ढेर के पास भगवान ईशान का मंदिर है ।
इस ढेर के पीछे शंकराचार्य का समाधि स्थल है ।
यहाँ आधुनिक शैली का स्मारक बना है ।
वर्तमान में इसमें पाँच मातृकाएँ स्थापित हैं ।
निःसंदेह वे पहले नौ रही होंगी ।
केदारनाथ में अनेक नाकविहीन मूर्तियों के विग्रह बिखरे पड़े हैं ।
यहाँ से लगभग 1 किमी दूरी पर चौर सरोवर अपने गहरे और नीले जल के कारण पर्यटकों के लिए आकर्षण स्थल है ।
यहाँ महात्मा गाँधी की अस्थि विसर्जन किए जाने से इसे गाँधी स्मारक भी कहते हैं ।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की कश्मीर नीति की तल्ख आलोचना की है ।
उन्होंने कहा है कि पाक सरकार की लचर कश्मीर नीति के कारण यह मुद्दा पाकिस्तान के हाथ से लगभग निकल चुका है ।
नवाज शरीफ ने जेद्दा में एक अमेरिकी टेलीविजन चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि उनकी सरकार भारत से समान संप्रभु भागीदार की हैसियत से बातचीत करती थी , लेकिन परवेज मुशर्रफ की नीति इसके उलट है ।
मुशर्रफ की पाकिस्तान नीति लचर रही है ।
पाकिस्तान की नीति में अस्थिरता है ।
इससे पाकिस्तान की साख कमजोर होती जा रही है ।
उन्होंने मुशर्रफ पर एजेंडा बदलने और पीछे हटने का आरोप भी लगाया ।
उन्होंने चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत के परमाणु परीक्षण के जवाब में उनकी सरकार ने परमाणु परीक्षण किया था ।
अमेरिका ने तब उन पर परमाणु परीक्षण नहीं करने के लिए दबाव बनाया था , लेकिन देश के संप्रभु चरित्र की रक्षा के लिए उन्होंने अमेरिकी दबाव की अनदेखी की ।
उन्होंने यह भी कहा कि तब तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद अपनी मर्जी से लाहौर की यात्रा की थी और लाहौर घोषणा पर हस्ताक्षर हुआ था ।
इसमें कश्मीर समस्या का भी जिक्र था ।
शरीफ ने कहा कि तब वाजपेयी ने मुझसे कहा था कि वे वर्ष , १९९९ को कश्मीर समस्या के समाधान वर्ष के रूप में याद करना चाहेंगे ।
अब स्थिति बिल्कुल अलग है ।
अब तो मुशर्रफ एक बयान देते हैं और अगले दिन उस पर पलट जाते हैं ।
ऐसे में कश्मीर पर हमारा दृष्टिकोण कमजोर हुआ है और यह मुद्दा एक तरह से हमारे हाथ से निकल गया है ।
शरीफ का यह भी कहना है कि पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिकों के खिलाफ मुकदमा चलाया जाना गलत है ।
उन्होंने कहा कि इसके पीछे पाकिस्तान और उसके परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाने का उद्देश्य छिपा हुआ है ।
ऐसा पाकिस्तान बाहरी दबाव में कर रहा है ।
उन्होंने इससे इनकार किया कि अपने निर्वासन के दौरान उन्होंने मुशर्रफ के साथ कोई सौदेबाजी की थी ।
उन्होंने कहा कि मुशर्रफ की सरकार ने तब सौदेबाजी करने की कोशिश की थी , लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया था ।
कांची मठ के परमाचार्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती का वार्षिक आराधना समारोह शुक्रवार को शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की गैरमौजूदगी में संपन्न हो गया ।
यह पहला मौका है , जब समारोह की अध्यक्षता के लिए जयेंद्र सरस्वती उपस्थित नहीं थे ।
शंकररमन हत्याकांड के सिलसिले में ११ नवंबर को गिरफ्तार होने के बाद से शंकराचार्य न्यायिक हिरासत में हैं और वेल्लूर जेल में बंद हैं ।
यज्ञों , वैदिक मंत्रों और विद्वानों को अलंकृत करने के बीच यह समारोह तीन दिन तक चला और शुक्रवार को मठ के अंदर स्थित समाधि में श्रद्धालुओं के बीच आराधना और पूजा के साथ संपन्न हुआ ।
परमाचार्य के दिसंबर १९९३ में मुक्ति प्राप्त करने के बाद से हर वर्ष आराधना समारोह आयोजित किया जाता है , जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं ।
हालांकि इस बार जयेंद्र सरस्वती की गैरमौजूदगी मौके पर मौजूद विशिष्ट व्यक्तियों के बीच चर्चा का विषय जरूर रही , लेकिन देश भर से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कोई कमी नहीं देखी गई ।
समारोह के दौरान कनिष्ठ आचार्य विजयेंद्र सरस्वती ने यज्ञ और भजन के बाद पूर्ण आहुति देने के बाद स्वर्ण कलश ग्रहण किया ।
मौके पर मौजूद कर्नाटक के एक मठ पीठाधिपति के स्वर्णाहल्ली स्वामी ने आदिस्थानम को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की ।
संसदीय कमेटी ने बजट पर बढ़ती निर्भरता के लिए रेलवे की निंदा की है ।
कमेटी का सुझाव है कि देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम रेलवे को अपने रुख में बदलाव करते हुए उपभोक्ता के लिए सरल और बाजारोन्मुखी बनना होगा ।
इससे वह एक वाणिज्यिक उपक्रम होने के नाते बजट पर अधिक निर्भर न रहकर अपने संसाधन खुद जुटा सकेगा ।
लोकसभा में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कमेटी का कहना है कि रेलवे को केंद्रीय मदद अब ५० फीसदी से भी अधिक मिलने लगी है ।
एक व्यापारिक उपक्रम होने के कारण सबसे पहले रेलवे को अपनी योजना के वित्त का भी प्रबंध करना चाहिए और परियोजनाओं को आंतरिक स्रोतों से पूरा करना चाहिए ।
योजना आयोग की राय पर गौर करते हुए कमेटी ने कहा है कि असली समस्या रेलवे को मिलने वाली कुल आर्थिक मदद नहीं है ।
बल्कि , आंतरिक व अतिरिक्त बजटीय मदद का न होना ही इसकी मुख्य समस्या है ।
दसवीं योजना के दौरान सरकार रेलवे को २७,६०० करोड़ रुपये की बजटीय सहायता को मंजूरी दे चुकी है ।
इस योजना की ७० फीसदी रकम पहले तीन सालों में ही उपलब्ध कराई जा चुकी है ।
१४ सदस्यीय इस कमेटी की अध्यक्षता बासुदेव आचार्य ने की ।
अपने तर्क के समर्थन में उन्होंने योजना आयोग के नजरिए का उल्लेख करते हुए कहा कि ट्रैकों की लंबाई , वृहद क्षेत्रफल और भारी आबादी को देखते हुए चीन और भारत की रेल प्रणाली में खासी समानताएं हैं ।
जबकि , चीन में बजट से पूरा किए जाने वाला रेलवे का खर्च सिर्फ ११ फीसदी है ।
जबकि भारत में यह रकम ५० फीसदी हो जाती है ।
चीन के पास बजट के अलावा अतिरिक्त संसाधनों की भरमार है ।
वह आंतरिक संसाधनों के जरिए ५७ फीसदी रकम का प्रबंध करता है और बाजार से ३२ फीसदी रकम हासिल करता है ।
हालांकि भारत के मामले में यह क्रमशः २४ और २२ प्रतिशत ही है ।
इसलिए भारत में रेलवे के सभी कार्यक्रम और योजनाएं तकरीबन पूरी तरह से सरकार से मिलने वाले बजट पर ही निर्भर हैं ।
इसके बजाय भारत को अब धीरे - धीरे स्वपोषित वाणिज्यिक प्रणाली की ओर बढ़ना चाहिए ।
बजट का प्रावधान केवल उन क्षेत्रों तक ही सीमित होना चाहिए जो कि वाणिज्यिक संस्थान प्रायोजित नहीं करना चाहता ।
खुफिया ब्यूरो के निदेशक पद की दौड़ में शामिल वरिष्ठ अधिकारी एन. सी. पाधी को सचिव ( सुरक्षा ) नियुक्त किया गया है ।
मध्यप्रदेश कैडर से १९६८ बैच के आईपीएस अधिकारी पाधी खुफिया ब्यूरो ( आईबी ) प्रमुख पद के प्रबल दावेदारों में से एक थे ।
नियुक्तियों को लेकर मंत्रिमंडल समिति ने ३१ मई को सुधीर कुमार के रिटायर होने के बाद सचिव ( सुरक्षा ) पद पर पाधी की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है ।
पाधी का कार्यकाल अगले वर्ष जुलाई तक होगा ।
सरकार के इस फैसले से बिहार से १९७० बैच के आईपीएस अधिकारी पी. सी. हलधर खुफिया ब्यूरो के अगले निदेशक के प्रबल दावेदार हो गए हैं ।
ब्यूरो के निदेशक ई. एस. एल. नरसिम्हन इस वर्ष ३० नवंबर को रिटायर होंगे ।
केंद्र सरकार कार्यपालिका , न्यायपालिका और विधायिका के तीनों अंगों को लोकपाल के दायरे में लाने पर विचार कर रही है ।
राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री व मुख्य न्यायाधीश को इससे बाहर रखा जाएगा ।
जनशिकायतों की सुनवाई को नए लोकपाल विधेयक में सबसे ज्यादा तरजीह दी जाएगी ।
सरकार ने इसके विभिन्न पहलुओं पर विचार के लिए समिति गठित की है ।
लोकपाल को सक्षम पुलिस व सीबीआई जैसी एजेंसी का समर्थन दिए जाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं ।
कानून व न्याय मंत्री हंसराज भारद्वाज के मुताबिक सरकार कार्यपालिका , न्यायपालिका और विधायिका को लोकपाल के जरिए ज्यादा कार्यक्षम व बेदाग बनाना चाहती है ।
जेएमएम प्रकरण के बाद संसद सदस्यों व निर्वाचित प्रतिनिधियों को लोक सेवक करार दिया जा चुका है और उनसे उसी किस्म की ईमानदारी की उम्मीद की जाती है ।
न्यायाधीशों के पास जांच की पर्याप्त एजेंसी नहीं होती ।
अब जनता में यह महसूस किया जाने लगा है कि न्यायाधीशों के मामले में भी जांच व दंड का प्रावधान होना चाहिए ।
जब उनसे पूछा गया कि लोकपाल के दायरे में न्यायपालिका को लाने के मुद्दे पर क्या भारत के प्रधान न्यायाधीश से राय ली जाएगी ?
उन्होंने कहा कि मंत्रियों की समिति न्यायाधीश की राय नहीं लेगी और स्वतंत्र रूप से अपने सुझाव देगी ।
भारद्वाज ने यह घोषणा की कि मंत्रियों की इस समिति की अध्यक्षता रक्षा मंत्री प्रणव मुखर्जी करेंगे ।
इसमें स्वयं उनके और विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल के अलावा चार से पांच मंत्री रहेंगे ।
उल्लेखनीय है कि एनडीए सरकार ने लोकपाल की दिशा में काफी प्रयास किए और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व उनके कई वरिष्ठ साथियों ने प्रधानमंत्री को भी लोकपाल के दायरे में रखने का प्रयास किया था ।
भारद्वाज के मुताबिक ' प्रणव मुखर्जी की कमेटी ने उस समय भी प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने का सुझाव दिया था ।
डॉ. मनमोहन सिंह ने तो प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने का कई बार समर्थन किया है ।
लेकिन हम लोगों का मानना है कि राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश को कम से कम इससे बाहर होना चाहिए ।
प्रधानमंत्री को केवल संसद के प्रति ही उत्तरदायी होना चाहिए और राष्ट्रपति पर तो कोई बहस भी नहीं होनी चाहिए
भारद्वाज का मानना है कि जजों के बारे में न्यायपालिका किसी जल्दी में नहीं दिखती ।
इसलिए सरकार ने तय किया है कि इस बारे में सभी के लिए समान कानून लाया जाए ।
जिसमें लोगों को यह जानने का हक भी मिले कि किसी प्रकरण की स्थिति क्या चल रही है ?
लोकपाल के जरिए ही भ्रष्ट जजों के महाभियोग की प्रक्रिया को भी तय किया जाएगा ।
हालांकि प्रशासनिक पदों पर भ्रष्टाचार पर निगाह रखने के लिए मुख्य सतर्कता आयोग ( सीवीसी ) का पद हाल ही में सृजित किया गया था ।
भारद्वाज का मानना है कि सीवीसी सीबीआई के निदेशक और प्रवर्तन निदेशालय के निदेशकों की नियुक्ति का अनुमोदन करने का अधिकार रखता है , लेकिन उसके पास उतने कानूनी अधिकार नहीं हैं ।
संसद सदस्यों के मामले में भी अब तक संसदीय समिति या स्पीकर के जरिए जांच हुई है लेकिन उनके लिए भी कोई ठोस कानूनी उपाय नहीं है ।
भारद्वाज का कहना है कि वह व्यापक लोकपाल विधेयक के जरिए इसे संपूर्ण बनाना चाहते हैं जिसमें आम लोग भी प्रशासनिक स्तर पर अपने काम रुकने या भ्रष्टाचार की शिकायतें कर सकें ।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ( ट्राई ) ने टाटा टेलीसर्विस लिमिटेड और रिलायंस इंफोकॉम लिमिटेड द्वारा फिक्सड वायरलेस फोन को वॉकी और अनलिमिटेड कार्डलेस फोन बताने पर कड़ा रुख अपनाया है ।
प्राधिकरण ने दोनों कंपनियों से फिक्सड वायरलेस फोन के ' वॉकी ' और ' अनलिमिटेड कार्डलेस ' फोन की तरह प्रचारित करने वाले विज्ञापनों को हटाने को कहा है ।
प्राधिकरण ने इसके लिए १३ जनवरी तक दोनों पक्षों से जवाब देने को कहा है ।
ट्राई को कई शिकायतें मिली थी कि दूरसंचार सेवा उपलब्ध कराने वाली कंपनियां टाटा टेलीसर्विस और रिलायंस इंफोकॉम अपने फिक्सड वायरलेस फोन सेवा का इस तरह से प्रचार कर रही हैं कि इन सेवाओं के मोबाइल के समान होने का भ्रम होता है ।
कंपनियां इसके एवज में एसेस डेफिसिट चार्ज यानि एडीसी ले रही हैं , जबकि यह फिक्सड वायरलेस फोन है ।
गौरतलब है कि लोकल फिक्सड फोन पर एडीसी नहीं देनी पड़ती है ।
जबकि मोबाइल पर यह दर लागू होती है ।
दूरसंचार सेवा मुहैया कराने वाली टाटा टेलिसर्विस लिमिटेड और रिलायंस इंफोकॉम ने बाजार में कुछ समय पहले फिक्सड वायरलेस फोन उतारे थे ।
ट्राई द्वारा यह आदेश दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम १९९७ की धारा १३ और ११ ( १ ) ( बी ) के तहत दिया गया है ।
यदि आप मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं , तो सतर्क हो जाएं ।
आपके सेलफोन पर वायरस हमला कर सकते हैं ।
मोबाइल फोन की स्क्रीन पर फ्लैश होने वाले ' अनबिलिवेबल ' और ' ऐस ' नाम के ये वायरस आपके हैंडसेट को क्षति पहुंचा सकते हैं ।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने यह चेतावनी जारी करते हुए कहा कि नए मोबाइल फोन पर वायरस से आने वाली ऐसी कॉल , हैंडसेट को क्षति पहुंचा सकती हैं ।
सूत्रों का कहना है कि मोबाइल फोन उपभोक्ताओं को १२ अंकों वाली कॉल भी नहीं लेनी चाहिए ।
यह भी फोन वायरस हो सकता है ।
मोहम्मद अली जिन्ना पर की गई टिथी से उठे विवाद में भाजपा पूरी तरह लालकृष्ण आडवाणी के साथ खड़ी है ।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी खुलकर आडवाणी के बचाव में सामने आ गए और बोले , पाकिस्तान के जनक ने स्वतंत्रता संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी ।
दूसरी ओर आडवाणी पर बयान वापस लेने का दबाव डालने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने उनके भाजपा अध्यक्ष पद से इस्तीफे को पार्टी का अंदरूनी मामला करार दिया ।
उन्होंने आरोप लगाया कि आडवाणी ने जो कुछ कहा उसके गलत अर्थ निकाले गए हैं ।
जिन्ना को पाकिस्तान का जनक बताते हुए वाजपेयी ने कहा कि कायदे आजम चाहते थे कि भारत और पाकिस्तान के लोग सद्भावना से रहें , लेकिन पाकिस्तान के नेताओं ने उनका समर्थन नहीं किया ।
उन्होंने कहा कि सरोजनी नायडू जैसी कांग्रेस की वरिष्ठ नेता ने भी जिन्ना पर इसी तरह की टिथी की थी ।
आडवाणी से बयान वापस लेने की मांग करने वाले संघ ने उन पर इस्तीफे के लिए किसी तरह का दबाव डालने के आरोप से इनकार किया ।
लेकिन उन्होंने कहा कि हम जिन्ना को सेकुलर बताए जाने से सहमत नहीं हैं ।
आडवाणी को मनाने उनके आवास पर पहुंचे भाजपा नेता साहिब सिंह वर्मा ने कहा , विहिप नेता प्रवीण तोगड़िया के बयान से अध्यक्ष जी आहत हैं ।
विहिप को इस तरह की भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
मैं चाहता हूं कि संघ परिवार दबाव बनाकर प्रवीण तोगड़िया का बयान वापस कराए या फिर उन्हें विहिप से बाहर कर दिया जाए ।
दूसरी ओर भाजपा की तेजतर्रार नेता उमा भारती ने कहा कि आडवाणी के इस्तीफे और पाकिस्तान में की गई उनकी टिप्पणियों से जुड़े मुद्दे पर बहस की जरूरत है ।
इसके साथ ही उन्होंने संघ परिवार को संयम बरतने की नसीहत दे डाली ।
पार्टी के अल्पसंख्यक नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि हमने लाल कृष्ण आडवाणी से इस मुददे पर बात की है और हम चाहते हैं कि वे अध्यक्ष बने रहें ।
झारखंड विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सीटों के बंटवारे को लेकर यूपीए में दरार पैदा हो गई है ।
कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोरचा ने आज राज्य की ८१ सीटों में से ६८ सीटें आपस में बांट ली ।
दूसरी ओर केंद्र में सत्तारूढ़ यूपीए के एक प्रमुख घटक राजद और उसे बाहर से समर्थन दे रहे माकपा ने इसे एकतरफा करार दिया है ।
कांग्रेस - झामुमो के समझौते से बौखलाए राजद प्रवक्ता ने इसे सरासर विश्वासघात बताया है ।
माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य सीताराम येचुरी ने कहा कि यह समझौता हमारी सोच से अलग है ।
सीटों के इस विवाद से राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ एक मजबूत गठबंधन खड़ा करने की कोशिशों पर पानी फिर गया है ।
हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी के मुताबिक ' यूपीए एक ठोस गठबंधन है और राज्य की मौजूदा सरकार को सत्ता से बाहर करने में कोई संदेह नहीं है
इससे पहले आज कांग्रेस ने गठबंधन धर्म निभाते हुए झारखंड मुक्ति मोरचा के साथ विधानसभा सीटों के बंटवारे में पूरी दरियादिली का परिचय दिया और झामुमो को ३५ सीटें दे दीं , जो उसकी ३३ सीटों के मुकाबले दो कम हैं ।
बदले में झामुमो सुप्रीमो और कोयला मंत्री शिबू सोरेन ने चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद का फैसला यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथ सौंप दिया ।
अब कांग्रेस की उम्मीदें सीपीआई की ओर से मिलने वाली दो सीटों पर टिकी हैं ।
कांग्रेस और झामुमो ने राज्य की बाकी १३ सीटें राजद और वाम दलों के लिए छोड़ी हैं ।
सीटों के तालमेल का फैसला सोरेन व सोनिया गांधी के बीच हुई मुलाकात के बाद लिया गया ।
इससे पहले कांग्रेस व झारखंड नेताओं के बीच हुई बैठक में समझौते की रूपरेखा तय की गई थी ।
कांग्रेस की ओर से इस बैठक में अर्जुन सिंह , माखन लाल फोतेदार और कांग्रेस महासचिव व बिहार व झारखंड के प्रभारी हरिकेश बहादुर ने हिस्सा लिया ।
जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से इस बैठक में शिबू सोरेन व स्टीफन मरांडी शामिल थे ।
लेकिन , इस समझौते से राजद और माकपा की भवें तन गई हैं ।
राजद प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने इस समझौते को गठबंधन धर्म के विपरीत बताया है ।
उन्होंने कहा कि यह सरासर विश्वासघात है ।
हाल ही में जेडीयू के चार विधायक भी राजद में शामिल हो गए थे ।
पादरी या नन अब धार्मिक और शैक्षिक कार्यो तक ही सीमित नहीं रहेंगे , बल्कि वे काले कोट पहनकर देश भर की अदालतों में जिरह करते भी नजर आ सकते हैं ।
केरल हाईकोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में उनके लिए रास्ता साफ कर दिया है ।
अदालत ने कहा कि पादरी या नन होने का आशय यह नहीं है कि वे कानूनी पेशे में प्रवेश नहीं कर सकते ।
जस्टिस के. बालाकृष्णन ने अपने आदेश में कहा कि पादरी और नन का काम कोई रोजगार या पेशा नहीं है ।
कोई भी केवल जीवनयापन के मकसद से इसे नहीं अपनाता ।
लिहाजा इसे पेशा नहीं माना जा सकता , जैसा कि बार काउंसिल के नियम २ ( एच ) में कहा गया है ।
हालांकि अदालत ने कहा है कि अधिवक्ता के रूप में वही पादरी और नन पंजीकृत नहीं हो सकते हैं , जो इस कार्य को पूर्णकालिक आधार पर करते हैं ।
अदालत ने बार काउंसिल की इस दलील को खारिज कर दिया कि धार्मिक कार्यो को अंजाम देना भी एक पेशा है , लिहाजा पादरी , नन और संन्यासिन कानूनी पेशे में प्रवेश के अधिकारी नहीं हैं ।
अदालत का मानना है कि ऐसे लोगों के आने से पेशे में पवित्रता , ईमानदारी और पारदर्शिता बढ़ेगी , क्योंकि कानूनी पेशे को ऐसे लोगों की जरूरत है , जो पूरी निष्ठा और निस्वार्थ भाव से दबे कुचले लोगों और पर्यावरण संरक्षण के मसले उठाएं ।
याचियों ने केरल बार काउंसिल पंजीकरण समिति के फैसले को चुनौती दी थी ।
समिति ने याचियों के आवेदन को खारिज कर दिया था ।
याचियों ने अपनी दलील में कहा कि यदि कोई वकील अदालत में प्रैक्टिस कर रहा है और वह पादरी या नन बन जाता है तो उसे वकील के रूप में वकालत जारी रखने से अयोग्य नहीं ठहराया जाता ।
इसी तरह नियम किसी पादरी या नन को कानूनी पेशे में प्रवेश से नहीं रोकते ।
अदालत ने कहा कि ऐसे लोग अपना जीवन ईश्वर और मानवता को समर्पित कर देते है ।
इसलिए उन्हें किसी पेशे से जुड़ा नहीं माना जा सकता ।
अदालत के फैसले पर सिस्टर टीना ने खुशी जताई है ।
उन्होंने अलपुझा से फोन पर बताया कि अंततः ईश्वर ने हमारी प्रार्थना सुन ली है ।
उन्होंने कहा कि पिछले एक सप्ताह से वे अदालत द्वारा अपने पक्ष में फैसला दिए जाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी ।
ईश्वर का शुक्र है कि अदालत ने हमारे पक्ष में फैसला दिया है ।
उन्होंने कहा कि अब मैं जरूरतमंद लोगों के लिए अदालत में बहस कर सकूंगी ।
मेरे जैसे दूसरे पादरी और ननों को भी वकालत के पेशे से जुड़ने का मौका मिलेगा ।
वोल्कर रिपोर्ट पर केंद्र सरकार ने सोमवार को यू टर्न लिया ।
प्रधानमंत्री ने नटवर सिंह से विदेश विभाग ले लिया ।
यह विभाग अब वह खुद देखेंगे ।
नटवर फिलहाल बिना विभाग के मंत्री रहेंगे ।
सरकार ने वोल्कर रिपोर्ट के तथ्यों की न्यायिक जांच कराने के लिए पूर्व मुख्य न्यायधीश आर. एस. पाठक की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया है ।
इसके अलावा कांग्रेस और राजग ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी अन्नान को लिखकर इस संबंध में सारे दस्तावेज मांगे हैं ।
राजग ने सोमवार राष्ट्रपति को भी इस संबंध में ज्ञापन सौंपा ।
मालूम हो कि वोल्कर रिपोर्ट से संबंधित तथ्यों व आंकड़ों को जमा करने के लिए सरकार ने रविवार शाम को ही संयुक्त राष्ट्र में पूर्व अवर सचिव वीरेंद्र दयाल की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था ।
तेल दलाली मामले में दो - दो जांच आदेश के बाद नटवर सिंह पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया था ।
पर उन्होंने इस्तीफा देने से साफ इनकार कर दिया ।
शाम को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें अपने सरकारी आवास पर बुलाया ।
इस मौके पर वित्त मंत्री पी. चिदंबरम भी मौजूद थे ।
करीब दो घंटे तक गहन मंत्रणा के बाद नटवर सिंह को विदेश मंत्रालय से हटाने का फैसला किया गया ।
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के इस फैसले का स्वागत किया है ।
नटवर सिंह को मंत्रिमंडल में बनाए रखने का बचाव करते हुए पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु संघवी का कहना है कि सिर्फ आरोप की बुनियाद पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता ।
लेकिन नटवर की जिद को देखते हुए प्रधानमंत्री को यह रास्ता निकालना पड़ा ।
हालांकि , नटवर सिंह की दलील थी कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत निरुपम सेन से कई बार बात की है ।
सेन से यह पता लगाने के लिए कहा गया है कि उनका और कांग्रेस का नाम इस रिपोर्ट में कैसे आया ।
पर सरकार और पार्टी इस दलील से सहमत नहीं थीं ।
पार्टी में आम राय थी कि जांच के वक्त विदेश मंत्रालय नटवर सिंह के पास नहीं होना चाहिए ।
खुद मनमोहन सिंह भी पार्टी नेताओं की इस राय से सहमत थे ।
इस मामले की न्याययिक जांच की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार संजय बारू ने सोमवार को कहा कि न्यायमूर्ति आर. एस. पाठक की ओर से की जाने वाली जांच का दायरा व जांच के मुद्दों की घोषणा जल्द कर दी जाएगी ।
जरूरत पड़ने पर नटवर सिंह से भी पूछताछ की जा सकती है ।
बारू के मुताबिक , वीरेंद्र दयाल समिति वोल्कर रिपोर्ट से संबंधित तथ्यों और आंकड़ों को एकत्र करने के लिए संयुक्त राष्ट्र व अन्य सदस्य देशों की यात्रा करेगी ।
जबकि पाठक की अगुआई में आयोग दयाल समिति के जुटाए गए तथ्यों के आधार पर जांच करेगा ।
उनके साथ उनकी पत्नी और वकील भी थे ।
एक दिन पूर्व ईडी ने अंदलीब और उनके रिश्तेदारों के आवासों पर रेड कार्नर नोटिस चस्पा कर दिया था ।
हालांकि ईडी और आयकर विभाग ने अंदलीब से रविवार को ८ घंटे तक पूछताछ की थी लेकिन अंदलीब ने इस नोटिस के जवाब में खुद को पेश किया ।
इस बीच नटवर ने वोल्कर रिपोर्ट को मृत रिपोर्ट का दर्जा दिया ।
उन्होंने कहा कि पॉल वोल्कर ने जब खुद स्वीकार किया कि उन्होंने कोफी अन्नान को संकट से उबारने के लिए इसकी भाषा में फेरबदल किया तो इससे इसकी गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है ।
जनता दल ( यूनाइटेड ) के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह केंद्रीय मंत्री और राजद नेता मोहम्मद तस्लीमुद्दीन पर लगे हत्या के प्रयास के अभियोग को नहीं हटाना चाहती ।
राज्य सरकार का कहना है कि यह आरोप बहुत ही गंभीर और गैर जमानती किस्म का है ।
पिछले साल बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद जद ( यू ) और भाजपा गठबंधन की सरकार आने पर उसने इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट किया ।
नितीश कुमार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह विवादास्पद राजद नेता पर मुकदमा जारी रखने के पक्ष में है ।
तस्लीमुद्दीन अररिया की अदालत में आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहे हैं ।
मंगलवार को अदालत में पेश किए गए नितीश कुमार सरकार के ताजा हलफनामे में कहा कि वह राबड़ी देवी शासन से इतर तस्लीमुद्दीन के खिलाफ मुकदमा जारी रखना चाहते हैं ।
जबकि पूर्ववर्ती सरकार ने तस्लीमुद्दीन के खिलाफ मामला वापस लेने का मन बनाया था ।
उल्लेखनीय है कि राबड़ी देवी सरकार ने २००४ में तस्लीमुद्दीन के खिलाफ मामले को वापस लेने का हलफनामा भरा था ।
हालांकि बिहार के कानून विभाग के संयुक्त सचिव संजय कुमार की ओर से जारी इस हलफनामे में कहा गया कि २००४ में सुनवाई अदालत में मुकदमा वापस लेने की याचिका का आधार अब मौजूद नहीं है ।
ताजा हलफनामे में कहा गया कि तस्लीमुद्दीन के खिलाफ अभियोग बहुत गंभीर और गैर जमानती है ।
आर्थिक सर्वेक्षण २००३ - ०४ में शिक्षा और स्वास्थ्य को आर्थिक विकास की मानव पूंजी घोषित किया गया है और इसे विकास के बुनियादी ढांचे के बराबर का दर्जा दिया गया है ।
विकास की उच्च दर को हासिल करने और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए इन बुनियादी क्षेत्रों का विकास जरूरी है ।
गरीबी की जड़ अशिक्षा है और यदि २००७ तक गरीबी में ५ फीसदी की कमी लानी है तो शिक्षा और स्वास्थ्य पर निवेश में बढ़ोतरी करनी होगी ।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम के अनुरूप शिक्षा पर व्यय को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाकर जीडीपी का ६ फीसदी करने से सामाजिक क्षेत्र की काफी मुश्किलों का हल निकल आएगा ।
इसलिए सरकार का विचार है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति २००२ के तहत जन स्वास्थ्य में निवेश को जीडीपी के ०.९ फीसदी से बढ़ाकर २०१० तक जीडीपी के २.० फीसदी तक लाया जाए ।
सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा किया गया है कि वर्ष २००३ - ०४ के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य क्षेत्र की योजनाओं के लिए आबंटित रकम में २००२ - ०३ के मुकाबले कोई वृद्धि नहीं की गई ।
आर्थिक सर्वेक्षण २००३ - ०४ में कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति १९८६ के तहत निरक्षरता को पूरी तरह से समाप्त करने हेतु एक व्यापक नीतिगत रूपरेखा तैयार की गई है और सकल घरेलू उत्पाद के ६ फीसदी की दर से शिक्षा पर खर्च करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है ।
गौरतलब है कि वर्ष २००२ - ०३ के दौरान शिक्षा पर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कुल मिलाकर जीडीपी का मात्र ३ फीसदी ही व्यय किया गया ।
सर्वेक्षण के दौरान कुछ सुखद पहलू भी सामने आए हैं ।
पहली बार जनसंख्या वृद्धि की तुलना में साक्षरता में अधिक वृद्धि हुई है और निरक्षर लोगों की संख्या घटने लगी है ।
साक्षरता की वृद्धि दर १९५१ के १८.३ फीसदी से नाटकीय रूप से बढ़कर २००१ में ६४.८ फीसदी हो गई ।
वर्ष १९९१ - २००० के दौरान साक्षर लोगों की संख्या में ५९ फीसदी की दर से वृद्धि हुई जबकि इसी अवधि के दौरान साक्षरता में १२.६ फीसदी की रफ्तार से बढ़त हुई ।
पहली बार ऐसा हुआ है कि महिला साक्षरता की दर पुरुषों को मात दे गई हो ।
इस तरह साक्षरता में लिंग भेद का अनुपात घटा है ।
आर्थिक सर्वेक्षण २००३ - ०४ में कहा गया है कि प्राथमिक कक्षा में नामांकन के मामले में लड़कियां लड़कों से आगे रही है ।
स्कूली शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर लड़कियों की भागीदारी बढ़ी है ।
उत्तर पूर्व के राज्य लड़कियों की प्राथमिक शिक्षा के मामले में काफी आगे रहे हैं ।
उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है और १९९७ - ९८ के ७.२६ मिलियन से बढ़कर २००२ - ०३ में ९.२ मिलियन हो गई ।
इस दौरान उच्च शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ कर ४० फीसदी हो गई ।
राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि गोधरा मामले की फाइल दोबारा खोलने के विरोध में ही विपक्ष उन पर दबाव बना रहा है ।
लालू ने कहा कि वह किसी के दबाव में आने वाले नहीं ।
उन्होंने कहा कि गोधरा कांड में विभिन्न जांच रिपोर्टों का वह अध्ययन कर रहे हैं और दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा ।
मनमोहन सिंह सरकार में दागी मंत्रियों पर विपक्ष के विरोध से क्षुब्ध लालू ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन पर ' दोहरे मानक ' अपनाने का आरोप लगाया ।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में भी कई मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले थे , लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री ने इसे अपना विशेषाधिकार बताया था ।
लालू ने आरोप लगाया कि राजग के कई मंत्री राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं और वह उसे उजागर करेंगे ।
उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व उप प्रधानमंत्री आडवाणी एक अंतर्राष्ट्रीय मामले में शामिल हैं ।
उन्होंने यह मामला इंटरनेट से खोज निकाला है ।
उन्होंने कहा कि विपक्ष उनका मनोबल तोड़ना चाहता है ।
लेकिन ऐसा नहीं होगा क्योंकि वह किसी की दया पर मंत्री नहीं बने बल्कि अपने दम पर बने हैं ।
संसद भवन में प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर लालू ने १३ दिसंबर , २००० को लोकसभा में नियम - १८४ के तहत अयोध्या मामले में आरोपी मंत्रियों के मुद्दे पर हुई बहस का ब्योरा रखा ।
बहस कांग्रेस नेता जयपाल रेड्डी के प्रस्ताव पर हुई थी ।
लोकसभा में बहस के दौरान प्रधानमंत्री वाजपेयी ने अपने मंत्रियों लालकृष्ण आडवाणी , डॉ मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती का खुलकर बचाव किया था ।
वाजपेयी ने कहा था , जिन मंत्रियों को मंत्रिमंडल से हटाने की बात की जा रही है , उनके त्यागपत्र लेने का सवाल ही नहीं पैदा होता है ।
वे अगर त्यागपत्र भी दे देंगे तो मैं त्यागपत्र वापस कर दूंगा
वहीं राज्यसभा में वाजपेयी ने कहा , ' मंत्री नियुक्त करना मेरी जिम्मेदारी है और प्रधानमंत्री के नाते त्यागपत्र लेना भी मेरी जिम्मेदारी है ।
क्या सदन तय करेगा कि किसे मंत्री होना चाहिए
वाजपेयी के बयानों का हवाला देते हुए लालू ने कहा कि राजग के प्रधानमंत्री जहां अपने मंत्रियों का बचाव कर रहे थे वहीं अब वे हमारे इस्तीफे की मांग कर रहे हैं ।
लालू ने कहा कि जयललिता और उमा भारती के खिलाफ भी आरोप हैं लेकिन वे अपने पदों पर बनी हैं ।
लालू ने विपक्ष को चेतावनी दी है कि वे अपनी मुहिम खत्म करें वरना वह भी उनके दोहरे चरित्र का पर्दाफाश करेंगे ।
कारगिल युद्ध के बारे में गठित सुब्रह्मण्यम समिति की रिपोर्ट को खारिज करते हुए अवकाश प्राप्त ब्रिगेडियर सुरिंदर सिंह ने आरोप लगाया है कि सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण द्रास सेक्टर की एक महत्वपूर्ण चौकी अब भी पाकिस्तान के कब्जे में है ।
कारगिल क्षेत्र में पाकिस्तानी घुसपैठ के बारे में सबसे पहले जानकारी देने वाले अवकाश प्राप्त ब्रिगेडियर सुरिंदर सिंह ने कहा है कि टाइगर हिल के निकट नियंत्रण रेखा के ३०० मीटर अंदर स्थित प्वाइंट ५३५३ अब भी पाकिस्तान के कब्जे में है ।
कारगिल युद्ध के समय ब्रिगेडियर सिंह ब्रिगेड कमांडर थे ।
ब्रिगेडियर सिंह ने सुब्रह्मण्यम समिति की रिपोर्ट की किसी निवर्तमान जज से जांच कराने की मांग की है ।
ब्रिगेडियर सिंह ने आरोप लगाया है कि इस समिति का गठन सरकार की विफलता को छिपाने के साथ - साथ वरिष्ठ अधिकारियों को बचाने के लिए किया गया था ।
लड़ाई के दिनों को याद करते हुए ब्रिगेडियर सिंह ने कहा कि टाइगर हिल और तोलोलिंग पर हमले के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों ने प्वाइंट ५३५३ से हमारी सेना पर काफी गोलीबारी की थी ।
उन्होंने कहा कि उपग्रह के चित्रों से भी यह पता चला है कि पाकिस्तानी सेना ने इस चौकी पर अपना कब्जा जमाया हुआ है ।
ब्रितानी हुकूमत की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही शिमला की शीतल बयार में फुरसत के दिन गुजारने आई प्रियंका गांधी वढेरा ने सोमवार को रिट्रीट के दीदार करने की हसरत पूरी कर ली ।
अपने पति राबर्ट वढेरा के साथ रिट्रीट पहुंची प्रियंका बचपन की यादों में खो गई ।
वह उस हैलीपेड को भी निहारना नहीं भूलीं जिसकी यादें उनके पापा यानि राजीव गांधी से जुड़ी हैं ।
अपने तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार उन्होंने सुबह - सुबह रिट्रीट के लिए कूच किया ।
होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल से कुछ फासले पर स्थित रिट्रीट को राष्ट्रपति के ग्रीष्मकालीन रिहाइश के तौर पर जाना जाता है ।
यहां राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री गर्मियों की छुट्टियां बिताने आते रहे हैं ।
प्रियंका की दादी पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी और पिता स्व. राजीव गांधी की रिट्रीट सर्वाधिक पसंदीदा जगहों में से रही है ।
प्रियंका को इस जगह पर अपनी दादी के साथ बचपन के कुछ दिन गुजारने का अवसर मिला है ।
बचपन की वे यादें उनके स्मृति पटल पर आज तक ओझल नहीं हो पाई हैं ।
पता चला है कि प्रियंका देवदार के घने जंगलों के बीच फैले खूबसूरत रिट्रीट भवन परिसर में टहलीं ।
उन्होंने अपने पति के साथ बचपन के उन क्षणों को भी बांटा , जो उनकी स्मृतियों में अभी भी हैं ।
वह उस हेलीपैड को निहारना भी नहीं भूलीं जिसकी यादें उनके पिता के शौक से जुड़ी हैं ।
बताते हैं कि विमान उड़ाने के शौकीन राजीव की पहल पर ही हेलीपैड के दिन बहुतेरे थे ।
कल्याणी के नाम से जाना जाने वाला यह हेलीपैड दर्शनीय है ।
इस हेलीपैड पर प्रियंका के पिता उड़ान भी भर चुके हैं ।
रिट्रीट की निर्जन दुनिया से निकलकर प्रियंका दोपहर तक होटल वापस लौट आई ।
इसके बाद वह कहीं घूमने नहीं निकलीं ।
अलबत्ता शाम के वक्त जरूर वह होटल परिसर में कुछ देर टहलीं ।
मंगलवार को प्रियंका के लौट जाने की संभावना है ।
उनके दौरे की गोपनीयता को लेकर होटल प्रबंधन ने अपने मुलाजिमों को खास हिदायतें जारी की थीं ।
इन्हीं का प्रभाव था कि आज होटल से जुड़े सूत्रों ने प्रियंका के कार्यक्रम को लेकर मुंह नहीं खोले ।
प्रियंका के लौट जाने से मीडिया कर्मियों में खासी मायूसी है ।
उनके भरसक प्रयासों के बावजूद प्रियंका से मुलाकात करने की हसरतें पूरी नहीं हो पाई ।
कांग्रेस के खुर्राट नेताओं ने भी प्रियंका की नितांत निजी यात्रा में दखलंदाजी करने से परहेज किया ।
प्रियंका से मिलने की उन्होंने खास चाह नहीं दिखाई ।
हालांकि चर्चाएं तो ये भी थीं कि मुख्यमंत्री व पीसीसी चीफ वढ़ेरा दंपत्ति को भोज की दावत दे सकते हैं ।
गत रात्रि से मनाली की ऊंची चोटियों पर हिमपात व निचले क्षेत्रों में बारिश होने से समूचा क्षेत्र ठंड की चपेट में आ गया है ।
रविवार की रात से ही मनाली की हामटा पास , रोहतांग पास , लद्दाखी पीक , देऊ टिब्बा , चंद्रखणी जोत , पतालसु पीक , मनाली पीक , हनुमान टिब्बा , ब्यास कुंड , शिरघण तुंग , शलीणधार , ७ सिस्टर पीक , फ्रेंडशिप पीक तथा पीर पंजाल श्रृंखलाओं की अनेकों चोटियों पर ताजा हिमपात हुआ ।
ताजा हिमपात होने से घाटी के तापमान में गिरावट आने के कारण लोगों ने गर्म वस्त्र पहनने शुरू कर दिए ।
जबकि मनाली में घूमने आए पर्यटक अपने होटल के कमरों से बाहर होटल के प्रांगण में निकले और बारिश में भीगकर बारिश की भीनी - भीनी बूंदों का मजा लेने लगे ।
वहीं स्थानीय लोगों के लिए यह बारिश वरदान से कम नहीं मानी जा रही है क्योंकि सेब की अच्छी फसल के लिए समय - समय पर बारिश का होना जरूरी माना जाता है ।
वहीं पर पशुओं के चारे व अन्य फसलों की बिजाई के लिए यह बारिश अति उत्तम मानी जा रही है ।
समय - समय पर हो रही बारिश तथा तापमान की अनुकूलता के कारण इस वर्ष अच्छी फसल होने की उम्मीद जताई जा रही है ।
गत रात्रि से ही घाटी में काले बादल मंडराने शुरू हो गए थे मगर घाटी में इंद्रदेव की नाराजगी से बारिश की हल्की - हल्की बौछारें शुरू हुई ।
प्राप्त सूत्रों के अनुसार घाटी के ऊंचे क्षेत्रों में ड्रिलबु पीक व संमजोतर पीक में हल्का हिमपात होने से घाटी के तापमान पर काफी गिरावट दर्ज की गई जिससे घाटी के लोगों ने पुनः गर्म कपड़ों को पहनना शुरू कर दिया ।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर - बाबरी मस्जिद प्रकरण के सर्वमान्य समाधान के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से नए प्रस्तावों के तहत बातचीत की तैयारी है ।
कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती ने समाधान के लिए पुनः प्रयास आरंभ कर दिया है ।
अयोध्या विवाद के हल के लिए अयोध्या प्रकरण समाधान समन्वय समिति का गठन किया गया है ।
बोर्ड से बातचीत के लिए नए प्रस्ताव पर चर्चा को अयोध्या में इसी माह के तीसरे हफ्ते बैठक होने वाली है ।
केंद्र में नई सरकार के गठन के साथ अयोध्या विवाद के समाधान के लिए भी नए सिरे से प्रयास शुरू हो गए हैं ।
इस बार इसकी कमान कांची कामिकोटि के शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती के हाथ है ।
शंकराचार्य की जिन लोगों से आमने - सामने बात नहीं हो पाई उनसे दूरभाष पर संपर्क करके अयोध्या प्रकरण के समाधान पर सक्रिय योगदान देने के लिए भी कहा है ।
विवाद के समाधान के लिए लगातार बातचीत का दौर और संपर्क जारी रखने के लिए अयोध्या प्रकरण समाधान समन्वय समिति का गठन किया गया है ।
यह समिति शंकराचार्य के निर्देश में कार्यो का निष्पादन करेगी ।
इसमें सदस्य के तौर पर अयोध्या से विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र , फैजाबाद से खालिक अहमद खान , चेन्नई से शंकराचार्य के प्रमुख सचिव सुंदर , अहमदाबाद से कृष्ण कुमार सिंघल व नई दिल्ली से अयोध्या जामा मस्जिद ट्रस्ट के अध्यक्ष व प्रबंध न्यासी अल्लामा सैयद असगर अब्बास रिजवी नामित किए गए हैं ।
रिजवी समिति के संयोजक बनाए गए हैं ।
रिजवी ने भी समिति के गठन की पुष्टि की है ।
श्री रिजवी ने बताया कि समिति ने अब तक अयोध्या प्रकरण के समाधान के लिए विचार मंथन चक्र चलाया ।
उन्होंने बताया कि विभिन्न दलों के नेताओं के साथ शंकराचार्य जी ने अखिल भारतीय इमाम संगठन के अध्यक्ष मौलाना जमील इलियासी , इस्लामिक कौंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष कारी मुहम्मद मियां मजहरी , सिया मौलाना सैयद कल्वे रुशेद , हेलाल कमेटी फैजाबाद के पदाधिकारी सहित देवबंद के खालिद अंसारी , ऑल इंडिया सिया कांफ्रेंस के सैयद जमीर सुल्तान सहित दूसरे मौलानाओं से भी विचार - विमर्श किया ।
अयोध्या विवाद के हल के लिए नए सिरे से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से बातचीत की रणनीति भी है ।
इसके लिए प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होने वाली है ।
यह समाधान प्रस्ताव ३० सितंबर २००४ तक तैयार हो जाने की उम्मीद है ।
इसकी पहली बैठक जून के तीसरे सप्ताह में अयोध्या में आयोजित होगी ।
इसकी पुष्टि समिति के संयोजक श्री रिजवी भी करते हैं ।
श्री रिजवी बताते हैं कि समाधान प्रस्ताव सभी संबंधित पक्षों से विचार - विमर्श किया जाएगा तथा अंतिम तौर पर शंकराचार्य जी महाराज और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना नदवी साहब ही समाधान प्रस्ताव पर निर्णय करेंगे ।
वह बताते हैं कि समिति शंकराचार्य जी के प्रति उत्तरदायी होगी ।
यह भारत सरकार अथवा अन्य शासकीय स्तर पर तभी संपर्क करेगी , जब शंकराचार्य जी की तरफ से उनके प्रमुख सचिव लिखित तौर पर सूचित करेंगे ।
श्री रिजवी ने बताया कि अक्तूबर २००४ में दिल्ली के विज्ञान भवन में एक समाधान सम्मेलन आयोजित किया जाएगा ।
इसकी अध्यक्षता शंकराचार्य जी करेंगे ।
सम्मेलन में अयोध्या प्रकरण से जुड़े सभी पक्षों को आमंत्रित किया जाएगा ।
समाधान प्रस्ताव को सम्मेलन में पारित करवाकर उसे प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह को इस आशय से सौंपा जाएगा कि भारत सरकार उच्चतम न्यायालय में याचिका पर समाधान प्रक्रिया सुनिश्चित कर सके ।
उन्होंने साफ किया कि इस विषयक की जानकारी के लिए शंकराचार्य जी के प्रमुख सचिव श्री सुंदर व समन्वय समिति के सदस्यगण ही अधिकृत प्रवक्ता हैं ।
आर्थिक सर्वेक्षण में जताई गई आशंकाओं के बीच बृहस्पतिवार को पेश होने वाले केंद्रीय बजट में कुछ साहसी निर्णय लिए जाने की उम्मीद है ।
सरकार वित्तीय घाटे और खर्च पर अंकुश लगाने के साथ वेतनभोगी वर्ग को टैक्स में राहत दे सकती है ।
वित्त मंत्री पी. चिदंबरम कल यूपीए सरकार का पहला बजट पेश करेंगे ।
इस बात की पूरी उम्मीद है कि पूर्ववर्तियों से सबक लेते हुए वह एक ही हिस्से में बजट पेश करें ।
इस बजट में आयकर छूट सीमा 70,000 - 1,00,000 करने तथा बुनियादी शिक्षा के लिए धन जुटाने के मकसद से प्रत्यक्ष करों पर दो फीसदी उपकर लगाए जाने की आशा है ।
सूत्रों के मुताबिक बजट के साथ ही चिदंबरम तीन दस्तावेज - माक्रो - इकॉनामिक फ्रेमवर्क स्टेटमेंट , मीडियम टर्म फिस्किल पॉलिसी स्टेटमेंट तथा फिस्कल पॉलिसी स्ट्रेटजी स्टेटमेंट पेश करेंगे ।
मीडियम टर्म फिस्कल पॉलिसी स्टेटमेंट के तहत मुख्य वित्तीय मानकों के लिए तीन साल का ' रोलिंग टॉरगेट ' तय किया जाएगा ।
यह वित्तीय घाटे को कम करने के लिए सरकार के प्रयासों का मुख्य आधार बनेगा ।
सूत्रों ने बताया कि वित्तीय जिम्मेदारी और बजट प्रबंधन कानून 2003 ' एफआरबीएम ' की शर्तो के मुताबिक वित्तीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.3 फीसदी से कम रखने का उपाय किया जा सकता है ।
विकास दर 7 - 8 फीसदी रखने के मद्देनजर बजट में सुधार उपायों के जारी रखने की उम्मीद है ।
इसमें बुनियादी , कृषि और सामाजिक क्षेत्रों में सार्वजनिक निवेश भी शामिल है ।
वहीं कम से कम 10 फीसदी औद्योगिक विकास दर को हासिल करने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ( एफडीआई ) व्यवस्था उदार बनाए जाने की संभावना है ।
सूत्रों ने बताया कि वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में उछाल आने तथा पिछले कुछ हफ्तों में मुद्रास्फीती बढ़ने के मद्देनजर बजट में लघु बचत दरों को 8 - 8.5 फीसदी ही रखे जाने की उम्मीद है ।
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों दोनों में ही कोई खास परिवर्तन की संभावना नहीं है ।
सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्री 3 फीसदी अधिभार हटा सकते हैं , लेकिन उसके बदले 2 फीसदी उपकर लगाया जा सकता है ।
आर्थिक सर्वे में सीमा शुल्क को आसियान स्तर पर लाने की जरूरत पर बल दिया गया है , इसलिए कच्चे मालों की दरों में कुछ बदलाव किया जा सकता है , लेकिन पीक रेट 20 फीसदी ही रहेगा ।
इसके अलावा टेक्सटाइल क्षेत्र को भी कुछ टैक्स राहत मिल सकती है ।
राज्यसभा सांसद और रिलायंस समूह के उपाध्यक्ष अनिल अंबानी ने अपना फोन टैप किये जाने का सनसनीखेज आरोप लगाया है ।
उनका कहना है कि रिलायंस इंफोकॉम के एक निदेशक और दो अधिकारी मिल कर इस आपराधिक कृत्य को अंजाम दे रहे हैं ।
उन्होंने गृह मंत्री शिवराज पाटिल को लिख कर इस मामले की जांच की मांग की है ।
रिलायंस इंफोकॉम के अध्यक्ष मुकेश अंबानी हैं और कंपनी ने बृहस्पतिवार को इस आरोप का खंडन किया है ।
उन्होंने इसे आधारहीन और द्वेषपूर्ण बताया है ।
गौरतलब है कि रिलायंस समूह में स्वामित्व विवाद के निपटारे के लिए किसी फॉर्मूले पर अमल की बात चल रही है और ताजा घटनाक्रम को इससे जोड़कर भी देखा जा रहा है ।
ऐसी खबरें हैं कि रिलायंस इंफोकॉम , रिलायंस कैपिटल और रिलायंस एनर्जी अनिल के हिस्से में आ सकतीं हैं ।
अनिल ने पाटिल को लिख कर कहा कि विश्वस्त सूत्रों से उन्हें पता चला है कि इस आपराधिक कृत्य के पीछे सारा दिमाग रिलायंस इंफोकॉम के एक निदेशक का है ।
पत्र में अनिल ने निदेशक का नाम भी लिखा है ।
माना जा रहा है कि सरकार ने प्रारंभिक जांच के लिए यह खुफिया एजेंसियों के पास भेज दिया है ।
गृह मंत्रालय ने धमकी भरे फोन मिलने की शिकायत के बाद अनिल को पिछले महीने ही सुरक्षा प्रदान की थी ।
अनिल ने इस निदेशक की मदद करने वाले रिलायंस समूह के दो वरिष्ठ अधिकारियों के नामों का भी उल्लेख किया है ।
अनिल का कहना है कि उनके मोबाइल और लैंड लाइन फोन को टैप करने में लिप्त लोगों के पास जीएसएम चिप क्लोनिंग मशीनें और अन्य टैपिंग उपकरण हो सकते हैं , जो इस्राइल और अन्य देशों में बिक्री के लिए उपलब्ध हैं ।
अनिल ने कहा कि यदि इन लोगों ने यह हरकत की है तो संसद के चुने हुए सदस्य और एक नागरिक के तौर पर उनके संवैधानिक अधिकारों के संपूर्ण उल्लंघन और उनकी निजता का आपराधिक हनन है ।
अनिल ने इसमें लिखा है कि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए वह एक सक्षम सरकारी एजेंसी से मामले की तत्काल जांच के आदेश देने का अनुरोध करते हैं ।
पूर्वी दिल्ली जिला पुलिस कार्यालय परिसर से सटे भोलानाथ नगर स्थित तिमंजिला हौज़री फैक्टरी में आग लगने से 12 कारीगर काल के गाल में समा गए ।
पांच कारीगर जान बचाने के लिए दूसरी मंजिल से कूद गए और घायल हो गए ।
घायलों को अलग - अलग अस्पताल में भर्ती कराया गया है ।
फैक्टरी में लाखों रुपये का सामान जलकर राख हो गया ।
फैक्टरी से सटे दो मकानों की दीवारों में दरार आ गई ।
आग पर काबू पाने के लिए दमकल की करीब तीन दर्जन गाड़ियां भेजी गई और लगभग 75 से अधिक दमकलकर्मियों को चार घंटे तक जूझना पड़ा ।
पूर्वी जिला पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शवों को सब्जी मंडी पोस्टमार्टम हाउस भेजा गया है ।
अधिकांश शवों की पहचान कर ली गई है ।
इस संबंध में फैक्टरी मालिक राकेश ग्रोवर और ठेकेदार हरिकिशन के खिलाफ मामला दर्ज कर उनकी तलाश शुरू कर दी गई है ।
हादसे की जानकारी मिलने पर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और यमुनापार विकास बोर्ड अध्यक्ष डॉक्टर नरेंद्र नाथ घटनास्थल पर पहुंचे ।
आग की घटना बुधवार सुबह करीब साढ़े दस बजे भोलानाथ नगर गली नंबर - 16 स्थित फैक्टरी नंबर 25ए - 16 विश्वास नगर में हुई ।
बताया जाता है कि इस फैक्टरी में पेरिस ब्यूटी के नाम से अंतःवस्त्र बनाए जाते हैं ।
फैक्टरी मालिक राकेश ग्रोवर हैं जिनका ग्रोवर एंड संस के नाम से काफी बड़ा कारोबार है ।
प्रतिदिन की तरह सुबह कर्मचारी फैक्टरी पर पहुंचे और काम में लग गए ।
फैक्टरी की पहली मंजिल तथा दूसरी मंजिल पर फोम तथा अन्य हौज़री का सामान रखा था ।
एक कारीगर थिनर से कपड़े साफ कर रहा था कि अचानक एक मशीन में स्पार्क हो गया और आग लग गई ।
फोम तथा कपड़ों में लगी आग ने चंद ही मिनटों में उग्र रूप ले लिया ।
वहीं कुछ कारीगर दूसरी मंजिल से कूद गए ।
घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने बताया कि ऊपर से कूदने की वजह से संजय नामक कारीगर के पैरों में चोट आई ।
फैक्टरी से आग की लपटें बराबर के मकानों तक पहुंचने लगीं तो लोगों में खलबली मच गई ।
मकान नंबर 1993ए निवासी मंगल सेन जैन तथा 1993बी निवासी राजीव जैन ने बताया कि आग की वजह से उनके मकानों की दीवारों में दरार आ गई और ऊपरी हिस्सा टूट गया ।
मंगल सेन के मकान की दीवार तो पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई ।
करीब 11 बजे दमकल विभाग तथा पुलिस नियंत्रण कक्ष को आग लगने की सूचना दी गई ।
करीब पौने दो बजे आग पर काबू पाया गया ।
इस घटना में 12 लोगों की मौत हो गई ।
दूसरी मंजिल से शवों को नीचे उतारकर पोस्टमार्टम के लिए सब्जी मंडी मुर्दाघर भेजा गया ।
घायल संजय को हेडगेवार अस्पताल में भर्ती कराया गया है जबकि चार अन्य को प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया ।
उपायुक्त मधुप तिवारी ने बताया कि इस संबंध में फैक्टरी मालिक राकेश ग्रोवर तथा ठेकेदार के खिलाफ लापरवाही से हुई मौत तथा आगजनी की धारा 304ए तथा 337 के तहत मामला दर्ज किया गया है ।
राकेश ग्रोवर की और भी कई यूनिट हैं लेकिन इस यूनिट का ठेकेदार हरिकिशन है ।
इन दोनों की तलाश की जा रही है ।
कांग्रेस चाहती है कि राज्यसभा का उपसभापति पद चुनावी संघर्ष के बजाय आम सहमति से तय हो ।
कांग्रेस इस पद पर अपना दावा मजबूती से पेश करेगी ।
हालांकि अब तक भाजपा व एनडीए नेतृत्व की ओर से कांग्रेस के इस तर्क को कोई समर्थन नहीं मिला है कि सदनों के प्रमुखों के चार पदों में से कम से कम एक पद सत्ताधारी दल को मिलना चाहिए ।
भाजपा की नेता सुषमा स्वराज ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि भैंरो सिंह शेखावत उपराष्ट्रपति हैं और उन्हें किसी दल का व्यक्ति नहीं माना जा सकता ।
यदि राज्यसभा का उपसभापति पद कांग्रेस को दिए जाने पर सहमति बनती है तो हाल ही में राज्यसभा सदस्य बनीं मोहसिना किदवई का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा है ।
मोहसिना किदवई को कांग्रेस नजमा हेपतुल्ला के माकूल जवाब की तरह देख रही है ।
कांग्रेस के पास संसद के पीठासीन अधिकारियों के चार में से कोई पद नहीं है ।
लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी वाम मोरचे से हैं , जो यूपीए में शामिल नहीं है बल्कि बाहर से समर्थन दे रहें हैं ।
कांग्रेस का तर्क यह भी है कि लोकसभा उपाध्यक्ष का पद परंपरा के मुताबिक विपक्ष को प्रस्तावित था और एनडीए ने अकाली दल को यह पद दे दिया ।
इसके उलट भाजपा के तर्क हैं ।
जबकि बाकी तीनों पदों में सदन के सदस्य को ही लिया जाता है ।
भाजपा का तर्क यह भी है कि एनडीए के सत्ता में रहते हुए लोकसभा में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद भी उनके पास नहीं था ।
एक बार यह पद टीडीपी के पास था और बाद में शिवसेना के पास था ।
टीडीपी ने भी बाहर से समर्थन दिया था ।
उपाध्यक्ष पद कांग्रेस के पास ही था ।
पी. एम. सईद उपाध्यक्ष थे ।
राज्यसभा में भी नजमा हेपतुल्ला कांग्रेस के सदस्य के रूप में ही राज्यसभा में आई थीं और बाद में वह भाजपा के टिकट पर अब आई हैं ।
इस बात की संभावना है कि संसदीय कार्यमंत्री गुलाम नबी आजाद इस मामले में अगले कुछ दिनों में एनडीए के शीर्ष नेताओं से बात कर सकते हैं ।
लालकृष्ण आडवाणी से बातचीत के बाद इस मामले में आम सहमति के प्रयास किए जा रहे हैं ।
लेकिन फिलहाल यह मामला कांग्रेस की प्राथमिकता में सबसे ऊपर नहीं है ।
मंगलोर की १५ वर्षीय एक छात्रा की पाती ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के दिल को छू लिया ।
मुशर्रफ ने इस छात्रा को लिखकर आश्वस्त किया है कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच मधुर संबंध होने के उसके सपनों को साकार किया जाएगा ।
केंद्रीय विद्यालय की १०वीं की छात्रा सृष्टि कृष्णमूर्ति के पिता और स्कूल के प्रधानाचार्य ने बताया कि सृष्टि ने भारत - पाक क्रिकेट सीरीज़ के बाद ' सिंबायोसिस ' शीर्षक से एक कविता लिखकर मुशर्रफ को भेजी थी ।
हालांकि सृष्टि को इस बात की कतई उम्मीद नहीं थी कि मुशर्रफ कविता के रूप में लिखे गए उसके पत्र का जवाब देंगे ।
इस कविता में सृष्टि ने उम्मीद जताई है कि दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध केवल खेल के मैदान तक ही सीमित नहीं रहेंगे ।
कविता में उसने कहा है कि वह यह सोच कर रोमांचित हो उठती है कि हम सभी के अंदर एक आत्मा है ।
सृष्टि के पिता ने बताया कि भारत - पाक संबंधों में पुल का काम करने वाली क्रिकेट सीरीज से प्रसन्न पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने सृष्टि को भेजे गए पत्र में उसकी बुद्धिमत्ता की जमकर तारीफ की है ।
बजट पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार से सिफारिश की गई है कि इंटरनेट से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के उपाय किए जाएं ।
सर्वे के मुताबिक ब्रॉडबैंड सुविधा में विकास कई देशों में सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है , वहीं दक्षिण कोरिया जैसे कुछ देशों में ब्रॉडबैंड के जरिए इंटरनेट ने घरों में पहुंच बना ली है ।
वर्ष २००३ - ०४ में टेलीफोन कनेक्शन में तकरीबन ४० फीसदी वृद्धि दर्ज करने के बाद सर्वे में यह उम्मीद जताई गई है कि वर्ष २००४ - ०५ में यदि इसी गति से बढ़ोतरी हुई तो वर्ष २००५ - ०६ के अंत तक ग्राहकों की संख्या १५ करोड़ तक पहुंच जाएगी ।
सर्वे में इस बात पर चिंता जताई गई है कि इसके बावजूद मार्च २००६ तक टेलीफोन घनत्व केवल १४ रहेगा ।
हालांकि मोबाइल फोन में वृद्धि दर को देखते हुए वर्ष २००५ - ०६ तक टेलीफोन घनत्व १७ तक पहुंचने की उम्मीद की गई है ।
मार्च २००४ तक इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या ३६ लाख से बढ़कर ४२ लाख हो गई है ।
यह वृद्धि १५ फीसदी है ।
सर्वे में कहा गया है कि बेसिक व सेलुलर सेवाओं के लिए एकीकृत लाइसैंस व्यवस्था पिछले साल शुरू की जा चुकी है ।
प्रतियोगिता की वजह से , खासकर सेलुलर क्षेत्र में , एसटीडी और आईएसडी शुल्क में आई गिरावट की सर्वे में सराहना की गई है ।
इस रकम का इस्तेमाल ग्रामीण व गैर - आर्थिक क्षेत्रों में टेलीकॉम सुविधा के विस्तार के लिए किया जा रहा है ।
हालांकि मोबाइल फोन के मामले में सार्वजनिक क्षेत्र के ग्राहकों की संख्या २६.४ लाख से बढ़कर ६० लाख हो गई है ।
श्रीलंका में १६ जुलाई से शुरू हो रहे एशिया कप के लिए घोषित १४ सदस्यीय भारतीय क्रिकेट टीम में तेज गेंदबाज अजीत अगरकर को जगह नहीं दी गई है ।
वहीं पाकिस्तान के खिलाफ पिछली वन - डे सिरीज में टीम से बाहर रहे स्पिनर अनिल कुंबले व हरभजन सिंह को टीम में स्थान मिला है ।
भारतीय क्रिकेट बोर्ड के सचिव एस. के. नायर द्वारा बुधवार को यहां घोषित टीम में पार्थिव पटेल को अतिरिक्त विकेटकीपर के रूप में स्थान दिया गया है ।
अगरकर को बाहर करने के अलावा टीम में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं किया गया है ।
राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने पाकिस्तान के खिलाफ हालिया सिरीज में सफलता हासिल करने वाले भारतीय दल के अधिकांश खिलाड़ियों को टीम में बरकरार रखा है ।
ऑफ स्पिनर हरभजन की चोट की वजह से छह माह तक टीम से बाहर रहने के बाद वापसी हुई है , जबकि कुंबले पाकिस्तान के खिलाफ वन - डे सिरीज में नहीं खेल पाने के बाद टीम में वापसी कर रहे हैं ।
बाएं हाथ के तेज गेंदबाज जहीर खान व आशीष नेहरा भी श्रीलंका में १६ जुलाई से शुरू हो रहे एशिया कप टूर्नामेंट के लिए टीम में जगह बनाने में कामयाब रहे ।
कुंबले व हरभजन के साथ इन दोनों तेज गेंदबाजों की टीम में मौजूदगी का मतलब हुआ कि भारत लंबे अरसे बाद किसी टूर्नामेंट में अपने पूरी क्षमता वाले गेंदबाजी आक्रमण के साथ उतरेगा ।
एशिया कप के लिए घोषित २० संभावित खिलाड़ियों में से अगरकर के अलावा रोहन गावस्कर , हेमांग बदानी , रमेश पवार , अमित भंडारी और मुरली कार्तिक टीम में जगह नहीं पा सके ।
टीम सौरव गांगुली ( कप्तान ) , राहुल द्रविड़ , सचिन तेंदुलकर , युवराज सिंह , वीवीएस लक्ष्मण , वीरेंद्र सहवाग , मोहम्मद कैफ , पार्थिव पटेल , अनिल कुंबले , हरभजन सिंह , जहीर खान , आशीष नेहरा , इरफान पठान व लक्ष्मीपति बालाजी ।
पंजाब , हरियाणा और चंडीगढ़ में बुधवार सुबह हुई हल्की बारिश से लोगों के चेहरे खुशी से जरूर खिल उठे लेकिन मानसून के लिए अभी उन्हें कुछ दिन और इंतजार करना होगा ।
मौसम विभाग ने बताया कि इन जगहों पर बुधवार सुबह हुई बारिश , मानसून की वर्षा नहीं थी ।
लोगों को इसके लिए कुछ और दिन इंतजार करना पड़ेगा ।
चंडीगढ़ व दिल्ली के सफदरजंग स्थित मौसम विभाग का कहना है कि इन राज्यों में मानसून के लिए स्थिति अनुकूल नहीं बन पाई है ।
इन राज्यों में मानसून प्रवेश करने में कुछ दिन और लगेंगे ।
मौसम विभाग के मुताबिक यमुनानगर जिले के छछरौली और फरीदाबाद जिले के पलवल में बुधवार को मानसून पूर्व बारिश हुई ।
चंडीगढ़ में बुधवार सुबह से ही आकाश में काले घने बादल छाये हुए थे ।
सुबह हुई हल्की बारिश से तापमान कम हुआ है और लोगों को गर्मी से राहत मिली है ।
यूपीए सरकार ने आठ फीसदी की विकास दर को बनाए रखने के लिए अपनी प्राथमिकताएं तय करते हुए इसे हासिल करने के लिए कृषि , शिक्षा , स्वास्थ्य व बुनियादी क्षेत्र पर विशेष घ्यान देने की बात कही है ।
बुधवार को लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते हुए वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने अर्थव्यवस्था की सुनहरी तसवीर के साथ कुछ खतरों की ओर भी इशारा किया ।
खासकर पेट्रोलियम पदार्थो की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी रुझान को देखते हुए महंगाई और ब्याज दरों में तेजी आ सकती है ।
इससे सरकार के अनुमान धरे के धरे रह सकते हैं ।
खासकर , अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की बढ़ती कीमतों का देश की आर्थिक विकास दर पर पड़ने वाले असर को लेकर सर्वे काफी गंभीर है ।
इसमें कहा गया है कि बाहरी दबाव के साथ आंतरिक दबाव भी झेलने होंगे ।
उद्योग जगत की ओर से ऋण की मांग में बढ़ोतरी और राजकोषी घाटे में वृद्धि के कारण निम्न ब्याज दरों के फायदे छूमंतर हो सकते हैं ।
ब्याज दरों में तेजी से महंगाई भी बढ़ सकती है ।
सर्वे में कर न देने की प्रवृत्ति पर भी चिंता जाहिर की गई है ।
सर्वे में कहा गया है कि उच्च शिक्षा की फीस बढ़ाने की जरूरत है ।
अच्छे मानसून के कारण खाद्यान्नों की पैदावार २००२ - ०३ के १७.४२ करोड़ टन से बढ़ कर २००३ - ०४ के २१.०८ करोड़ टन पहुंच गई ।
इस दौरान अनाज और दलहन दोनों की पैदावार में वृद्धि हुई ।
सामान्य मानसून की संभावना के मद्देनजर २००३ - ०४ में खाद्यान्नों की पैदावार बढ़ने की उम्मीद है ।
सर्वे में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र में कार्य कर रहे अतिरिक्त श्रमिकों को उद्योग में रोजगार देने और इसके लिए कृषि प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा ।
सरकार ने मुद्रा स्फीति पर नियंत्रण रखने की वचनबद्धता दोहराई है ।
केंद्र सरकार के अनुसार यद्यपि टेलीकॉम , सड़क और बंदरगाह जैसी सुविधाओं के क्षेत्र में मांग और पूर्ति का अंतर कम हुआ है , पर इन सुविधाओं के अभाव के कारण आर्थिक विकास में बाधा आ रही है ।
आर्थिक सर्वेक्षण २००४ में कहा गया है कि सामाजिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को भौतिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के बराबर महत्व देने की गरज से राष्ट्रीय साझा न्यूनतम कार्यक्रम के अनुरूप शिक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष बल दिया जाएगा ।
नतीजतन , बजट अनुमान २००३ - ०४ में शिक्षा और स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय को बढ़ा कर जीडीपी का क्रमशः ६ फीसदी और २ - ३ फीसदी करने का निर्णय लिया गया है ।
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वर्ष २००३ - ०४ के दौरान भारतीय अर्थवयवस्था में ८.१ फीसदी की दर से वृद्धि हुई है ।
उद्योग और सेवा क्षेत्र में वृद्धि से भी जीडीपी की बढ़त को सहयोग मिला है ।
कृषि क्षेत्र में ९.१ फीसदी की दर से वृद्धि हुई है और इसका जीडीपी में भारी योगदान रहा ।
वर्ष २००३ - ०४ के दौरान मूल्यों में कमोबेश स्थिरता बनी रही ।
मुद्रास्फीति की औसत दर ५.५ फीसदी रही ।
मूल्यों की बढ़त में निर्माण क्षेत्र का भारी योगदान रहा ।
मई २००४ तक विदेशी मुद्रा भंडार ११९.३ अरब डॉलर की ऊंचाई को छू गया ।
केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि ब्रिटेन द्वारा निर्मित हॉक उन्नत प्रशिक्षण विमान ( एजेटी ) भारत को सितंबर , २००७ से मिलने शुरू हो जाएँगे ।
इन विमानों के लिए भारतीय वायु - सेना के ७५ पायलेटों को अगले साढ़े तीन साल में ब्रिटेन में प्रशिक्षित किया जाएगा ।
एक सवाल के जवाब में राज्यसभा में रक्षा मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सरकार ने हॉक एजेटी के लिए ब्रिटिश सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है ।
इसके तहत भारत को फरवरी , २००८ तक कुल ६६ में से २४ हॉक एजेटी विमान मिल जाएँगे ।
शेष ४२ विमानों का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में किया जाएगा ।
सेना को इन विमानों की आपूर्ति मार्च , २००८ से शुरू होगी , जो मई २०१० तक चलेगी ।
रक्षा मंत्री ने इस बात से इन्कार किया कि ब्रिटिश एरोस्पेस ने ' मैन - डिज़ाइन वर्क ' के लिए पाँच करोड़ अमेरिकी डॉलर की माँग की है और इसे पूरा नहीं किए जाने पर सौदा रद्द करने की धमकी दी है ।
पायलेटों के प्रशिक्षण के बारे में मुखर्जी ने कहा कि हर तीन महीने में छह से आठ पायलेटों को ब्रिटेन में प्रशिक्षित किया जाएगा ।
उन्होंने बताया कि अभी पहले बैच का प्रशिक्षण शुरू नहीं हुआ है ।
मंत्री ने बताया कि दूसरे और तीसरे बैच का प्रशिक्षण क्रमशः २० सितंबर , २००४ और ३ मार्च , २००५ से शुरू किए जाने की बात है ।
हाईपर प्लेन के बारे में जानकारी देते हुए मुखर्जी ने कहा कि रक्षा वैज्ञानिकों ने हाईपर प्लेन की आरंभिक परिकल्पना तैयार कर ली है ।
इसके आधार पर शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी से कुछ तक़नीकी पैकेज विकसित कर लिए गए हैं ।
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अभी तक हाईपर प्लेन विकसित करने की परियोजना को मंजूरी नहीं दी गई है ।
उन्होंने बताया कि १५५ मिमी ५२ कैलिबर की हॉविटजर प्रणाली पर अभी कुछ और परीक्षण किए जाने हैं ।
चैरीटेबल अस्पताल बनाने के नाम पर ७० लोगों ने सरकार से भूमि ली है ।
मगर तय शर्तो के अनुसार उन्होंने गरीब मरीज़ों का इलाज करने से इन्कार कर दिया ।
दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए जाँच का आदेश दिया है ।
इसके अलावा सभी अस्पतालों को फिलहाल दो हजार रुपये मासिक आय वाले परिवार का अस्पताल में निःशुल्क इलाज करने का निर्देश दिया है ।
न्यायमूर्ति विजेन्द्र जैन और न्यायमूर्ति रेखा शर्मा की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार को अदालत के ही निर्देश पर गठित कमेटी ने विस्तृत रिपोर्ट दाखिल की ।
अदालत ने इसके आधार पर निर्देश दिया कि सस्ती दर पर भूमि प्राप्त करने वाले अस्पताल किसी भी मरीज़ को भर्ती करने के दौरान उससे आय संबंधी कोई भी दस्तावेज या फिर बीपीएल कार्ड इत्यादि नहीं माँगेगा ।
दाखिले के समय मरीज़ से फार्म भराकर कि उसकी आय दो हजार रुपये मासिक से ज्यादा नहीं है और इलाज शुरू कर दें ।
इसके बाद ही इसकी जाँच की जाए ।
अदालत ने कमेटी की इस रिपोर्ट को भी गंभीरता से लिया कि सस्ती दर पर भूमि लेने वाले २८ अस्पतालों का कोई पता नहीं है और बताए पते पर उनका कोई रिकार्ड ही नहीं है ।
अदालत ने इसकी विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है ।
इसी प्रकार खंडपीठ ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार सभी अस्पतालों में नोटिस बोर्ड लगवाएँ जिसमें तय निशुल्क बेड की संख्या और अन्य प्रकार की जानकारी दी जाए ।
इसके अलावा सभी नियमों की आम लोगों को जानकारी देने के लिए इसका प्रचार किया जाए ।
कमेटी ने रिपोर्ट में कहा कि उन्होंने बत्रा , एस्कॉर्टस , जी. एम. मोदी , बिमला देवी , एमकेडब्ल्यू , दीपक मैमोरियल अस्पताल इत्यादि का दौरा किया और पाया कि किसी भी अस्पताल में गरीब मरीज़ के इलाज के लिए तय नियमों का पालन नहीं हुआ ।
अधिकांश अस्पतालों से इससे संबंधित रिकॉर्ड नहीं है और अस्पतालों ने २५ प्रतिशत की अपेक्षा कुछ ही बेड गरीबों के लिए रखे हैं ।
इसके अलावा भर्ती के लिए नियम ऐसे हैं कि उसमें गरीबों की भर्ती मुश्किल है ।
कमेटी ने पाँच हजार मासिक आय तक के परिवार को निःशुल्क इलाज की सुविधा देने की सिफारिश की ।
रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाक़ात की ।
प्रतिनिधिमंडल ने बिहार में बिजली की स्थिति से प्रधानमंत्री को अवगत कराते हुए राज्य में परमाणु रिएक्टर की स्थापना की माँग रखी ।
प्रधानमंत्री ने इस संबंध में परमाणु ऊर्जा आयोग को लिखने का भरोसा दिया है ।
प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय मंत्री पी. सी. गुप्ता , कांति सिंह , एम. ए. ए. फातमी और सांसद विजय किशन , रघुनाथ झा , कुमकुम राय व वीरचंद पासवान शामिल थे ।
दिल्ली पुलिस ने हवारा और उसके साथी को दिल्ली के ही किसी स्थान से गिरफ्तार करने का दावा किया है ।
जबकि कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक हवारा और उसके साथी को दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच ने पंजाब यूनीवर्सिटी के मुख्य द्वार से काबू किया है ।
हालांकि , जिला पुलिस इस बात की पुष्टि करने को तैयार नहीं है ।
बताया जाता है कि दिल्ली के सिनेमा घरों में हुए विस्फोटों के एक आरोपी को नवांशहर से धरने के बाद दिल्ली पुलिस को उससे पूछ - ताछ में हवारा और उसके साथी के ठिकाने के बारे में पता लगा ।
पूछ - ताछ में दिल्ली पुलिस को पता लगा कि हवारा और उसका साथी पटियाला की पंजाब यूनीवर्सिटी में कुछ लोगों से मिलने गया है ।
इसके बाद दिल्ली पुलिस ने पूरी योजना के साथ पटियाला में डेरा डाला ।
मंगलवार को ११ से १२ बजे के बीच यूनीवर्सिटी के मुख्य द्वार पर एक कार रुकी , जिसमें दो लोग बैठे हुए थे ।
वहीं पर सादे कपड़ों में मौजूद दिल्ली पुलिस ने इस कार पर धावा बोल दिया ।
भनक लगते ही कार में बैठे दोनों व्यक्ति भागने लगे ।
एक मार्केट की ओर भागा और एक की पिस्तौल व मोबाइल गिर गया ।
मार्केट की ओर भागे व्यक्ति को पुलिस ने दौड़ाकर उसकी कनपटी पर पिस्तौल लगाकर काबू कर लिया ।
दूसरा भागने के चक्कर में यूनीवर्सिटी के आसपास लगी कंटीली तारों में फंस गया ।
दिल्ली पुलिस दोनों को पकड़ने के बाद वहाँ से फौरन रवाना हो गई ।
इसकी सूचना पटियाला पुलिस को भी नहीं दी गई ।
सूत्र बताते हैं कि हवारा की गिरफ्तारी को लेकर पंजाब पुलिस और दिल्ली पुलिस के बीच काफी विवाद भी चला ।
पंजाब पुलिस का कहना था कि उसके अधिकार क्षेत्र में हवारा को पकड़ने की कार्रवाई उसको जानकारी देने के बाद होनी चाहिए थी ।
यही कारण है कि हवारा की गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस ने काफी देर बाद खोली ।
पटियाला पुलिस को इस कार्रवाई की भनक काफी देर बाद लगी ।
मंगलवार की रात एसएसपी ए. एस. रॉय की अगुआई में पुलिस टीम ने यूनीवर्सिटी जाकर वहाँ के सुरक्षा अधिकारी से भी इस संबंध में बात की ।
एसएसपी ए. एस. रॉय का कहना है कि हवारा के यहाँ से गिरफ्तार होने के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है ।
भारत के कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल वी. एन. कॉल ने कहा है कि सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश का लेखा ऑडिटरों के सामने एक नई चुनौती के रूप में खड़ा हुआ है ।
कॉल सोमवार से शुरू हुए २५ विकासशील देशों के वित्त नियंत्रकों एवं ऑडिटरों के लिए आयोजित एक माह के अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन कर रहे थे ।
इस कार्यक्रम में भारत के अलावा अफगानिस्तान , बांग्लादेश , कोरिया , थाईलैंड , वियतनाम , मॉरीशस , नेपाल , ओमान , श्रीलंका , घाना व उजबेकिस्तान के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं ।
कॉल ने कहा कि आम जनता के हित में विनिवेश की पूरी प्रक्रिया की आर्थिक जानकारी उपलब्ध कराना ऑडिटरों की जिम्मेदारी है ।
उन्होंने कहा कि नियामक अधिकरणों और सार्वजनिक उपक्रमों की पारदर्शिता लेखा के मामले में महत्वपूर्ण होती जा रही है ।
आर्थिक उदारवाद व भूमंडलीकरण के प्रभाव से आज सार्वजनिक उपक्रमों को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है ।
इस स्थिति में सार्वजनिक उपक्रमों को अपने काम - काज के तरीके में बदलाव लाने की जरूरत है ।
कॉल ने कहा कि विकासशील देशों में इस तरह के परिवर्तन ज्यादा हो रहे हैं ।
इसलिए ऑडिटरों को बदलते माहौल में सार्वजनिक उपक्रमों का लेखा तैयार करने के लिए नए कौशल विकसित करने होंगे ।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन इंटरनेशनल सेंटर फॉर इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स एंड ऑडिट द्वारा नोएडा में किया जा रहा है ।
जनता दल यू के वरिष्ठ नेता नितीश कुमार ने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान विशेष पर्यवेक्षक रहे एल. वी. सप्तऋषि को चुनाव आयोग पर आरोप लगाने के कारण बर्खास्त करने की माँग की है ।
नितीश ने यूपीए सरकार से चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर दोषारोपण करने के लिए राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख व केंद्रीय रेल मंत्री लालू यादव के खिलाफ़ भी कार्रवाई करने की माँग की है ।
नितीश ने सप्तऋषि द्वारा उठाए मुद्दे को ' किसी से ' प्रेरित बताया ।
राजद प्रमुख लालू यादव पर हमला करते हुए नितीश ने उन्हें भारतीय राजनीति की बीमारी बताया ।
उन्होंने कहा कि लालू को संवैधानिक संगठनों की आलोचना करने की आदत सी पड़ गई है ।
नितीश ने लालू के खिलाफ कार्रवाई करने की माँग की ।
नितीश ने सप्तऋषि व लालू यादव के बीच साँठ - गाँठ की जाँच कराने की भी माँग की ।
पासवान ने कहा कि आयोग ने राज्य में लोकसभा व विधानसभा चुनाव निष्पक्ष व प्रभावी ढंग से पूरा कराया ।
पासवान ने कहा कि उनके मन में चुनाव आयोग के प्रति काफी इज्जत है ।
आयोग एक संवैधानिक संस्था है और इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह पूर्ण रूप से तटस्थ है ।
अफ्रीका की गरीबी और मौसम परिवर्तन पर चर्चा करने आए दुनिया के ८ सबसे धनी देश ( जी - ८ ) आतंकवाद पर चर्चा करते नज़र आए ।
अंततः इन नेताओं को संशोधित घोषणा जारी करनी पड़ी , जिसमें आतंकवाद से लड़ने की चुनौती फेहरिस्त में सबसे ऊपर थी ।
ग्लेनईगल्स में जी - ८ के जो नेता तापमान परिवर्तन और अफ्रीका की गरीबी की बात कर रहे थे , वे इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय मुहिम में तेजी की वकालत करने लगे ।
लंदन पर हुए हमले के कारण आतंकवाद जी - ८ के एजेंडे के केंद्र में आ गया ।
उन्होंने वाशिंगटन स्थित इन वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों से अधिकतम चौकसी बरतने को कहा ।
हालांकि , उनके प्रेस सचिव स्कॉट मैकक्लेलन ने बाद में जोर देकर कहा कि बुश ने आतंकवादी हमले के कारण बीच में शिखर बैठक नहीं छोड़ी थी ।
वैसे जी - ८ के एजेंडे में आए बदलाव से बुश की परेशानी भी कम हुई ।
दुनिया के कई नेताओं के साथ तापमान परिवर्तन के मुद्दे पर उनका मतभेद जगजाहिर है ।
वे क्योटो प्रोटोकॉल को अमेरिकी अर्थ - व्यवस्था के खिलाफ मानते रहे हैं ।
अगर लंदन में धमाके नहीं होते तो इस शिखर बैठक में तापमान परिवर्तन प्रमुख मुद्दा बना रहता और इस पर जी - ८ देशों में मतभेद भी लक्षित हो सकते थे ।
यूं तो समूह - ८ अभी भी तापमान परिवर्तन पर एक समझौते का प्रयास कर रहा है , लेकिन धमाकों के बाद अब उसके लिए आतंकवाद ही प्रमुख मुद्दा बन गया है ।
फॉर्म सब्सिडी खत्म करने पर हालाँकि उन्हें अमेरिका और ब्रिटेन से चतुराई वाला समर्थन मिला लेकिन शिराक़ से हुई मुलाकात इसलिए खास है कि फ्रांस डब्लूटीओ में इस मुद्दे पर जंग छेड़े हुए है ।
जम्मू - कश्मीर के पुंछ जिले में शुक्रवार को सेना और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में लश्कर - ए - ताइबा के तीन आतंकी मारे गए ।
आतंकवादी घुसपैठ की फिराक में थे ।
इस मुठभेड़ में एक जेसीओ सहित सेना के चार जवान भी शहीद हो गए ।
सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल वी. के. बत्रा ने कहा कि इस गुट का प्रमुख अनंतनाग जिले के कुलगाम का एक मज़हबी नेता था ।
पुंछ में हुई मुठभेड़ के बारे में एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि १३वीं सिख लाईट इनफेंट्री द्वारा लश्कर - ए - ताइबा गुट के आतंकियों को नियंत्रण - रेखा पर चुनौती देने पर मुठभेड़ रात ११.४५ बजे शुरू हुई ।
आतंकी तालाचीड इलाके में नियंत्रण - रेखा पार कर घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे ।
सेना द्वारा चुनौती देने पर आतंकियों ने गोली चलानी शुरू कर दी ।
सेना की जबावी कार्रवाई में तीन आतंकी मारे गए ।
मुठभेड़ में नायक सूबेदार अवतार सिंह सहित चार जवान भी शहीद हो गए ।
मुठभेड़ वाले स्थान से तीन एके एसॉल्ट राइफल , १७ मैगजीन , ८ ग्रेनेड , ४ आईइडी , एक रेडियो सेट , दो पिस्तौल व कुछ अन्य हथियार बरामद किए गए हैं ।
जहाँ एक तबका फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने वाले कृषि मूल्य लागत आयोग को समाप्त करने का पक्षधर है ।
वहीं कृषि मामलों की स्थायी समिति कृषि मूल्य लागत आयोग में किसानों के प्रतिनिधित्व की पक्षधर है ।
समिति का कहना है कि इससे फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण में आयोग को किसानों से पूरी जानकारी मिल पाएगी ।
इसके अतिरिक्त समिति ने किसानों को दिए जाने वाले ऋण पर ६ फीसदी ब्याज दर लागू करने की सिफारिश की है ।
इसके अलावा ऋण सीमा को ५० हजार रुपए से बढ़ाकर १.५ लाख किया जाना चाहिए और इस पर ७ फीसदी के हिसाब से ब्याज दर लागू होनी चाहिए ।
कृषि मूल्य लागत आयोग को ज्यादा स्वतंत्र और मजबूत बनाने के लिए लोकसभा की कृषि मामलों की स्थायी समिति प्रयास कर रही है ।
समिति का मानना है कि किसानों को उनकी फसल का पूरा मूल्य नहीं मिल पाता है और इसलिए आयोग में किसानों का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए ।
हालांकि अभी तक समिति में किसानों का प्रतिनिधित्व नहीं है ।
समिति का कहना है कि इससे आयोग सीधे किसानों के संपर्क में रहेगा और उनकी समस्याओं को बेहतर तरीके से निपटाया जा सकेगा ।
स्थायी समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर राम गोपाल यादव का कहना है कि स्थायी समिति यह महसूस करती है कि राज्य सरकारें फसलों के लिए जो मूल्य तय करने के सुझाव देती हैं ।
आयोग उन मूल्यों को लागू नहीं करता है और उनकी सिफारिशों से कम मूल्य निर्धारित करता है ।
इससे किसानों को उनकी फसल की कम कीमत मिलती है ।
उनका कहना है पिछले साल उत्तर प्रदेश सरकार ने धान के लिए ७२० रुपये प्रति क्विंटल मूल्य निर्धारित करने की सिफारिश आयोग से की थी ।
क्योंकि धान के लिए उत्तर प्रदेश में लागत मूल्य ६५० रुपये था ।
लेकिन आयोग ने धान के लिए ५६० रुपये प्रति क्विंटल का मूल्य निर्धारित किया ।
यानि प्रदेश सरकार की सिफारिशों से काफी कम मूल्य किसानों को मिला ।
राम गोपाल यादव इसके भी पक्षधर हैं कि आयोग को मूल्य निर्धारण के दायरे में कई अन्य फसलों को भी शामिल करना चाहिए ।
हालांकि अभी तक महज २५ फसलों का ही मूल्य आयोग द्वारा निर्धारित किया जाता है ।
उनका कहना है कि कई ऐसी फसलें भी हैं जिनका मूल्य किसानों को मिल नहीं पाता है और इसके लिए सरकार को पहल करनी होगी ।
यादव का कहना है कि कृषि में सबसे बड़ी समस्या निवेश ऋण पर लगने वाले ब्याज दर की है ।
क्योंकि वर्तमान में किसानों को दिए जाने वाले ऋणों की ब्याज दरें काफी ज्यादा हैं और इन ब्याज दरों को नाबार्ड द्वारा राज्यों को दिए जाने वाले ऋण पर लागू होने वाली ब्याज दर के समान ही होना चाहिए ।
उनका कहना है कि समिति इसकी पक्षधर है कि किसानों को ६ फीसदी ब्याज दर पर ऋण मुहैया कराया जाना चाहिए ।
भारतीय स्वास्थ्य मंत्री ए. रामदास ने भारत में अनिवासी भारतीय डॉक्टरों द्वारा चलाई जा रहीं परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने का वादा किया है ।
उन्होंने अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजीशियंस ऑफ इंडियन ऑरिजिन ( एएपीआई ) के पूर्व अध्यक्ष नवीन शाह को यह आश्वासन दिया ।
नवीन शाह मैरीलैंड के लैनहम इलाके स्थित डॉक्टर्स हॉस्पिटल के प्रमुख हैं ।
शाह ने कहा कि उन्होंने रामदास से वाशिंगटन में लंबी बातचीत की ।
उन्होंने एनआरआई डॉक्टरों द्वारा चलाई जा रही परियोजनाओं को सफल बनाने में भरपूर योगदान देने का वादा किया है ।
एनआरआई डॉक्टरों से जुड़े दूसरे मसलों पर भी इन दोनों के बीच बातचीत हुई ।
मंत्री ने मेरी बातों को ध्यान से सुना ।
उल्लेखनीय है कि भारत में अनिवासी भारतीय डॉक्टरों के सहयोग से कई परियोजनाएं चल रही हैं ।
शाह ने बताया कि ६ महीने पहले भी इन मसलों पर उन्होंने दिल्ली में मंत्री से बातचीत की थी ।
शाह ने कहा कि रामदास चाहते हैं कि भारत में मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का भरपूर विस्तार हो ।
उन्होंने बताया कि मंत्री ने कई वादों को पूरा करने का आश्वासन दिया है ।
रामदास ने यह भी संकेत दिया कि जो राज्य ईएमएस सेंटर की स्थापना करेगा , उसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से वित्तीय मदद दी जाएगी ।
उन्होंने भारत में कई और संक्रामक रोग चिकित्सा केंद्रों की स्थापना का भी वादा किया ।
शाह के मुताबिक रामदास ने दो जाने - माने आयुर्वेद विशेषज्ञों को अमेरिका में आयुर्वेद चिकित्सा पद्घति की पढ़ाई के लिए अमेरिका भेजने का वादा किया है ।
उन्होंने आयुर्वेद के क्षेत्र में संयुक्त भारत - अमेरिका शोध परियोजना को भी सफल बनाने का वादा किया ।
आज देश के कर्जदार हर १०० किसानों में से १० अनुसूचित जनजाति , १८ अनुसूचित जाति व ४४ अन्य पिछड़े वर्ग से हैं ।
इस बात की जानकारी राष्ट्रीय सैंपल सर्वे से मिली है ।
आंध्र प्रदेश के कर्जदार किसानों में ११ फीसदी अनुसूचित जनजाति , १७ फीसदी अनुसूचित जाति व ४७ फीसदी अन्य पिछड़े वर्ग से हैं ।
जबकि तमिलनाडु में यह अनुपात इस प्रकार से है ४ फीसदी अनुसूचित जनजाति , २२ फीसदी अनुसूचित जाति व ७३ फीसदी अन्य पिछड़े वर्ग से हैं ।
यहाँ सामान्य श्रेणी का सिर्फ एक फीसदी किसान ही कर्जदार है ।
देश में किसानों की स्थिति के बारे में जानकारी को लेकर सबसे पहले २००३ में सर्वेक्षण कराया गया था ।
इसका उद्देश्य रहन - सहन के आधार पर किसानों की स्थिति का आकलन करना था ।
इसमें उपभोक्ता व्यय , कृषि व गैर कृषि व्यवसाय , उत्पादक परिसंपत्तियाँ , आय और कर्ज के आधार पर किसानों की स्थिति का सर्वेक्षण किया गया था ।
बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू करने के विवादास्पद फैसले के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्यपाल बूटा सिंह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जाँच की जाएगी ।
अदालत ने कहा है कि इस बात की जाँच की जाएगी कि क्या राज्यपाल ने दुर्भावनाओं से ग्रस्त होकर केंद्र को रिपोर्ट भेजी थी , जिसकी वजह से राष्ट्रपति शासन लगाया गया ।
केंद्र की सलाह को स्वीकार करते हुए जस्टिस वाई. के. सब्बरवाल , जस्टिस के. जी. बालकृष्ण , जस्टिस बी. एन. अग्रवाल , जस्टिस अशोक भान और जस्टिस अजित पसायत की खंडपीठ ने संविधान के अनुच्छेद ३६१ के तहत अदालती कार्यवाही के मामले में राज्यपाल को प्राप्त विशेषाधिकार का हवाला देते हुए कहा कि अदालत राज्यपाल को नोटिस जारी नहीं करेगी ।
हालांकि अदालत ने यह साफ कर दिया कि राज्यपाल ने अगर दुर्भावनाओं से ग्रस्त होकर इस बाबत फैसला लिया है तो यह उनके विशेषाधिकार के दायरे से बाहर है और अदालत को इस मामले की जाँच का अधिकार है ।
खंडपीठ ने विधानसभा भंग करने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ दायर याचिका की अगली सुनवाई की तारीख २७ सितंबर से घटाकर २० सितंबर कर दी है ।
अदालत ने चुनाव आयोग द्वारा बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के मद्देनज़र सुनवाई की तारीख घटा दी है ।
लेकिन जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर अदालत ने अटॅर्नी जनरल मिलन बनर्जी , एडिशनल सॉलीसिटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम् और पूर्व अटॅर्नी जनरल सोली जे. सोराबजी से राय ली ।
इन तीनों ने एक मत से कहा कि राष्ट्रपति शासन को अवैध करार देने पर चुनाव आयोग को चुनाव प्रक्रिया रद्द करनी पड़ेगी ।
सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण में हो रही देरी को जड़ से मिटाने के लिए सरकार ने रक्षा बजट में २७ फीसदी की वृद्धि करते हुए ७७,००० करोड़ रुपये आवंटित किए हैं ।
जबकि संशोधित अनुमान ६३,००० करोड़ रुपये था ।
वहीं पंजी प्रावधान के मामले में थल सेना की अनदेखी की गई है तो वायु और नौ सेना के आवंटन में मामूली बढ़ोतरी हुई है ।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि पिछले तीन - चार सालों में रक्षा बजट की अनदेखी की गई है ।
सरकार ने पिछले साल के १६,९०६ करोड़ रुपये के पूँजी प्रावधान को दोगुना करते हुए ३३,४८२ करोड़ रुपये किया है ।
केंद्रीय बजट २००४ - ०५ में रक्षा प्रावधान में वृद्धि करते हुए पी. चिदंबरम् ने कहा कि आधुनिक हथियारों के अधिग्रहण के लिए यह ' जरूरी ' हो गया है कि इस साल आवंटन अधिक हो ।
पूँजी प्रावधान को दोगुना किए जाने से संकेत मिलते हैं कि सरकार का फ्रांसीसी पनडुब्बी ' स्कॉर्पियो ' , मिग - २१ के स्थान पर १२५ बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान और थल सेना की फायरपॉवर में इजाफा करने के लिए चार हजार करोड़ रुपये की योजना पर आगे बढ़ने का विचार है ।
रक्षा बजट में इस वृद्धि के बावजूद भारत का रक्षा खर्च सकल घरेलू उत्पाद का सिर्फ २.५ फीसदी है जो चीन के ६ फीसदी और पाकिस्तान के ५.५ फीसदी की अपेक्षा बहुत कम है ।
पिछले साल के बजट अनुमान की अपेक्षा मौजूदा वृद्धि १७.९१ फीसदी अधिक है ।
अगर पूँजी प्रावधानों पर नजर दौड़ाई जाए तो थल सेना के लिए बजट अनुमान में कमी आई है जबकि वायु और नौ सेना के लिए मामूली वृद्धि की गई है ।
मौजूदा वर्ष में थल सेना के लिए आवंटन २७,८२८९९ करोड़ रुपये रखा गया है जबकि पिछले साल के संशोधित अनुमान में यह राशि २८,२७६ करोड़ रुपये रखी गई थी ।
जबकि नौ सेना के लिए पिछले साल संशोधित अनुमान ४,९१० करोड़ रखा गया था जिसे मौजूदा वित्त वर्ष में बढ़ा कर ५,२९३ करोड़ रुपये कर दिया गया है ।
वहीं , वायु सेना के लिए ७८४७.२९ करोड़ रुपये को बढ़ाकर ८४६८.४० करोड़ रुपये कर दिया गया है ।
वित्त मंत्री पी. चिदंबरम् और रक्षा मंत्री प्रणब मुखर्जी स्वदेशी रक्षा शोध को बढ़ावा देने पर जोर देते आए हैं लेकिन रक्षा शोध सेवा और विकास के लिए पिछले साल की अपेक्षा तीन सौ करोड़ रुपये की कटौती की गई है ।
डीआरडीओ को मौजूदा बजट में २३४३.१६ करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं जबकि पिछले साल के संशोधित अनुमान में २६९९.२० करोड़ रुपये की बात कही गई थी ।
बीते तीन सालों के दौरान कार खरीदने वाले अपने को ठगा महसूस कर सकते हैं ।
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक २००१ से २००४ के दौरान वित्त मंत्रालय द्वारा कारों पर कर घटाने के बावजूद मारुति , टाटा मोटर्स , होंडा और महेंद्रा एंड महेंद्रा जैसी दिग्गज कंपनियों ने उपभोक्ताओं को किसी तरह की रियायत नहीं दी ।
संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कैग ने इसे लेकर वित्त मंत्रालय की खिंचाई की है ।
उसके निशाने पर रेल मंत्रालय भी है ।
रिपोर्ट के मुताबिक २००० - ०४ के दौरान रेलवे ने सड़क और ओवर बिज्र के निर्माण के लिए मिले फंड के इस्तेमाल में बेरुखी दिखाई ।
नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ( कैग ) की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यम और लग्जरी सेगमेंट की कारों के मामले में उत्पाद शुल्क में कटौती का पूरा लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं पहुँचा ।
इसके चलते सरकार को कार कंपनियों से मिलने वाले राजस्व में ३८ फीसदी का नुकसान हुआ ।
गौरतलब है कि वित्त मंत्रालय ने २००० - ०१ के दौरान कारों पर १६ फीसदी उत्पाद शुल्क घटाया था ।
इसी तरह २००१ - ०२ के दौरान कारों का विशेष उत्पाद कर २४ फीसदी के बजाय १६ फीसदी कर दिया गया ।
इसके बाद २००२ - ०३ के दौरान इसमें आठ फीसदी की और कटौती की गई ।
इससे २००१ - ०२ के दौरान शुल्क ४० फीसदी से घटकर ३२ फीसदी हो गया ।
जबकि २००३ - ०४ के दौरान शुल्क ३२ फीसदी से घटकर २४ फीसदी रह गया ।
रिपोर्ट के मुताबिक मार्च २००१ से फरवरी २००२ के दौरान पाया गया कि मारुति , टाटा मोटर्स , होंडा सिएल और महेंद्रा एंड महेंद्रा ने शुल्क में कटौती के अनुरूप कारों के दाम नहीं घटाए ।
बल्कि कुछ कंपनियों ने तो दस महीने बाद ही कारों के दाम बढ़ा दिए ।
रिपोर्ट के मुताबिक पाँच कार निर्माता कंपनियों से सरकार को ३० सितंबर २००३ तक २४४४.११ करोड़ रुपये का राजस्व मिलना था ।
लेकिन इन कंपनियों ने इसमें से ९२७.३१ करोड़ रुपये अपने पास ही रख लिए ।
इमराना बलात्कार कांड का विवाद अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि असम के नागौन जिले में १९ वर्षीय महिला का इमराना जैसा मामला सामने आया है ।
इसका उसके ससुर ने बलात्कार किया ।
उसके बाद उस बांग्लादेशी आव्रजक युवती की शिकायत पर स्थानीय जमात ने उल्टे उसे उसके पति को तलाक देने का फरमान सुनाया है ।
नागौन के एसपी के. के. सरमा ने शुक्रवार को यहाँ बताया कि १९ वर्षीय एक मुस्लिम युवती यहाँ अपने मां - बाप के साथ रह रही है ।
उसने ढिंग पुलिस स्टेशन में कल बृहस्पतिवार को ही इस बारे में एफआईआर दर्ज कराई ।
सरमा के अनुसार उस युवती के साथ २५ मई को उसके पचास वर्षीय ससुर मोइनुद्दीन ने तब बलात्कार किया जब वह ढिंग पुलिस थानान्तर्गत दक्षिण जेरामाई गाँव के अपने घर में अकेली थी ।
उन्होंने बताया कि यह परिवार बांग्लादेशी आव्रजकों का है ।
इन लोगों ने इस बलात्कार की सूचना पुलिस को नहीं दी और स्थानीय धार्मिक बुजुर्गों के पास गए जिन्होंने युवती को उसके पति को तलाक देने का फरमान सुना दिया ।
जबकि ससुर को कोई सजा तो दूर उसे ' आजादी ' बख्श दी ।
एक छोटी सी जमीन का मालिक उसके पति ने भी अपनी आठ माह की पत्नी को अपनाने से इनकार कर दिया ।
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने एक पुलिस दल उस गाँव में भेजा जब उन्हें अज्ञात व्यक्ति से इस घटना के ब्यौरे के साथ इस बारे में शिकायत मिली ।
उन्होंने बताया कि पीड़िता का चिकित्सकीय परीक्षण करा कर मजिस्ट्रेट के समक्ष उसका बयान भी दर्ज कराया गया है ।
पुलिस अब फरार चल रहे मोइनुद्दीन की तलाश कर रही है ।
इससे पहले पिछले महीने दारुल उलूम देवबंद ने २८ वर्षीय पांच बच्चों की माँ से उसके ससुर के बलात्कार करने पर महिला को अपने पति के साथ नहीं रहने का फरमान सुनाया था ।
इस फरमान का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी समर्थन किया था ।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को आतंकवाद को कायरतापूर्ण कृत करार देते हुए कहा कि लोकतंत्र में आस्था रखने वाले देशों को मिलकर इसका मुकाबला करना चाहिए ।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने आज मनमोहन सिंह को नागरिक कानून में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की ।
इस अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि लोकतंत्र और कानून के शासन में आस्था रखने वालों को चाहिए कि वे मिलकर आतंकवाद का मुकाबला करें ।
गौरतलब है कि बृहस्पतिवार को लंदन में आतंकी हमला हुआ था ।
इस घटना पर शोक जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि संकट की इस घड़ी में भारतीय ब्रिटेन के साथ हैं ।
अयोध्या में आतंकी हमले का जिक्र करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि आतंकवाद विश्व के सभी देशों के लिए खतरा बन गया है ।
यह शांति और मानवीयता को तहस - नहस कर रहा है और हमें इसका मुकाबला मिलकर करना चाहिए ।
सिंह पांच दशक पूर्व विश्वविद्यालय के छात्र रहे थे ।
सिंह ने १९५७ में विश्वविद्यालय के नफील्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी. फिल. की डिग्री हासिल की थी ।
उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गये कुख्यात डकैत निर्भय गुर्जर की विधवा सीमा परिहार ने अपने दिवंगत पति के शव पर अपना दावा पेश किया है ।
उसने कहा है कि वह हिंदू रीति - रिवाज के मुताबिक वाराणसी में शव का अंतिम संस्कार करेगी ।
मंगलवार को इटावा में पत्रकारों के साथ बात - चीत में सीमा ने कहा कि ' निर्भय को अपने पापों की सजा मिल चुकी है ।
उनकी पत्नी होने के नाते अब मुझे अपने कर्तव्य का पालन करना है ।
मैं उनके शव का अंतिम संस्कार काशी ( वाराणसी ) में करना चाहती हूँ
सीमा ने आगे कहा कि गुर्जर के शव के औपचारिक दावे के लिए मैं जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मुलाकात करूँगी ।
पुलिस महानिदेशक यशपाल सिंह ने कहा कि मुठभेड़ में निर्भय गुर्जर को मारकर एसटीएफ टीम ने अदम्य साहस का परिचय दिया है और वे प्रशंसा के पात्र हैं ।
उन्होंने आगे कहा कि बहादुरी भरे कारनामों के मद्देनज़र पुलिसकर्मियों के लिए बारी से पहले प्रोन्नति देने का प्रावधान है ।
गौरतलब है कि सीमा जब लालाराम गिरोह में थी तभी उसने गुर्जर से शादी रचाई थी ।
समझा जाता है कि बाद में जब लालाराम ने सीमा के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाया तो गुस्साए गुर्जर ने लालाराम गिरोह से अलग होकर अपना एक अलग गिरोह बना लिया ।
वरुण गांधी ने आज कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र में वंशवाद का कोई स्थान नहीं है ।
उन्होंने भाजपा में अपने प्रवेश का भी समर्थन किया ।
भाजपा के मुखा बीजेपी टुडे को दिए साक्षात्कार में वरुण ने कहा कि वंशवाद तो सामंतवाद का एक हिस्सा है ।
वरुण के अनुसार वंशवाद के लिए नेता ही जिम्मेदार हैं ।
उन्होंने कहा कि अगर लोगों को बेहतर शिक्षा और अवसर मिले तो उनमें आत्म विश्वास बढ़ता है और वे जीवन में परिवार का समर्थन नहीं लेंगे ।
वरुण ने कहा कि जिस तरह से भाजपा ने गठबंधन सरकार को संचालित किया और भारत को विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिष्ठा प्रदान की उससे प्रभावित होकर ही वे भाजपा में शामिल हुए ।
उन्होंने कहा कि मैं भाजपा के राष्ट्रवाद और आत्मविश्वास की विचार धारा से पूरी तरह प्रभावित हूँ ।
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को इस बात पर आश्चर्य हो सकता है कि गांधी परिवार का सदस्य होने के बावजूद मैं भाजपा में कैसे शामिल हो गया , लेकिन हम पार्टी नहीं विचार धारा का सम्मान करते हैं ।
उन्होंने भारतीय राजनीतिकों की कमजोरी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आजकल राजनीति शक्ति और धन उपभोग करने का माध्यम हो गयी है ।
शायद ही कोई राजनेता सही अर्थों में लोगों की सेवा करना चाहता है ।
उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की याद दिलाते हुए कहा कि राजनीति में भी व्यक्तिगत बलिदान की जरूरत है ।
वरुण के अनुसार वे अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि का लाभ नहीं उठाना चाहते ।
लोक जनशक्ति पार्टी ( लोजपा ) अध्यक्ष राम विलास पासवान ने बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से राष्ट्रीय जनता दल ( राजद ) व भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा ) के साथ किसी प्रकार के तालमेल की संभावना से इनकार किया है ।
बुधवार को दिल्ली से पटना पहुंचने पर पत्रकारों से बातचीत में रामविलास पासवान ने कहा कि राजद व भाजपा को लेकर वे अपने पहले के रुख पर कायम हैं ।
राज्य में यूपीए के घटकों के बीच चुनावी गठबंधन की संभावनाओं को खारिज करते हुए पासवान ने कहा कि बिहार में यूपीए गठबंधन प्रभावी नहीं है ।
यह पूछे जाने पर कि क्या सोनिया गांधी के कहने पर उनकी पार्टी राजद के साथ चुनावी तालमेल करेगी इस प्रश्न को पासवान ने कल्पनात्मक प्रश्न करार दिया ।
पासवान ने कहा कि उन्होंने मंगलवार को सोनिया गांधी व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी ।
लेकिन बातचीत के दौरान गठबंधन को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई ।
पासवान ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से राज्य की सभी २४३ सीटों से चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा है ।
लेकिन उन्होंने कांग्रेस के साथ चुनावी तालमेल की भी इच्छा जताई है ।
नानावटी रिपोर्ट में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री कमलनाथ और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वसंत साठे को १९८४ के दंगों के मामले में क्लीन चिट दी गई है ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोग को ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है जिससे यह सिद्ध किया जा सके कि गुरुद्वारा रकाबगंज में मौजूदगी के दौरान कमलनाथ ने उत्तेजित भीड़ को भड़काया ।
इसी प्रकार वसंत साठे की वहां मौजूदगी संबंधी दावे को आयोग ने भ्रामक माना है ।
पत्रकार संजय सूरी ने अपने बयान में आयोग को बताया कि ३१ अक्टूबर ८४ को कमलनाथ गुरुद्वारा रकाबगंज में मौजूद थे तथा वह भीड़ को शांत करने का प्रयास कर रहे थे ।
कमलनाथ ने अपने जवाब में भी कहा है कि वे कांग्रेस के एक जिम्मेदार नेता के रूप में वहां गये थे ताकि कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ नहीं पाये ।
जब वे वहां पहुंचे थे तो वहां भारी पुलिस बल मौजूद था और पुलिस आयुक्त भी तभी वहां पहुंच गये थे ।
उन्होंने भीड़ को तितर - बितर होने और कानून अपने हाथ में नहीं लेने के लिए राजी किया ।
हालांकि आयोग ने इस बात पर आश्चर्य प्रकट किया कि कमलनाथ पुलिस अधिकारियों से संपर्क किये बगैर कानून व्यवस्था की चिंता के लिए गुरुद्वारा पहुंच गये ।
लेकिन कमलनाथ का तर्क था कि २० साल बाद यह बता पाना संभव नहीं है कि वे वहां कब और कैसे गये ।
बहरहाल आयोग को दंगे भड़काने में भूमिका होने की बाबत उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला है ।
वसंत साठे के मामले में मुख्त्यार सिंह नामक एक व्यक्ति ने उनके गुरुद्धारा रकाबगंज में होने का दावा किया था ।
लेकिन पत्रकार सूरी ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया ।
साठे का जवाब है कि उस दिन ग्यारह बजे के आसपास वे तीन मूर्ति भवन में मौजूद थे जहां इंदिरा का पार्थिव शरीर रखा गया था ।
वहां इस दौरान उन्होंने दूरदर्शन की टीम को साक्षात्कार भी दिया था और लोगों से शांति व्यवस्था बनाये रखने की अपील की थी ।
आयोग ने मुख्त्यार सिंह के दावे को गलतफहमी माना ।
भारतीय सैन्य अकादमी ( आईएमए ) पर आत्मघाती हमले की साजिश में पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर ए ताइबा के एक आतंकी को पुलिस ने देहरादून में गिरफ्तार कर लिया ।
आतंकी मोहम्मद इफ्तखार अहसान मलिक बिहार का रहने वाला है और देहरादून में एक बायोटेक्नोलॅजी संस्थान में छात्र था ।
वह आतंकियों को आईएमए से संबंधित जानकारी दे रहा था ।
गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस की विशेष सेल ने शनिवार रात राष्ट्रीय राजधानी में दो पाकिस्तानी आतंकियों समेत तीन को मुठभेड़ में ढेर कर दिया था और उनके दो साथी गिरफ्तार कर लिए गए थे ।
इसी के बाद आईएमए , देहरादून और बंगलोर स्थित नामी सॉफ्टवेयर कंपनियों को उड़ाने की लश्कर की साजिश का भंडाफोड़ हुआ था ।
देहरादून के डॉलफिन इंस्टीटयूट ऑफ बायो मेडिकल ऐंड नेचुरल साइंस में पढ़ रहे मोहम्मद इफ्तखार अहसान मलिक को दिल्ली पुलिस ने सोमवार रात आईएमए से सटी प्रेम नगर कालोनी स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया ।
देहरादून की अदालत ने इफ्तखार को दस दिन के पुलिस रिमांड पर दिल्ली पुलिस के हवाले किया है ।
संयुक्त पुलिस आयुक्त ( विशेष सेल ) कर्नल सिंह ने बताया कि मलिक को पूछताछ के लिए दिल्ली लाया गया है ।
दिल्ली पुलिस सुनील को भी साथ ले गई है ।
इस मकान में डॉलफिन के ही तीन अन्य छात्र मोहम्मद राशिद , नईस आलम व सिराजुल इसलाम दूसरे कमरे में रहते हैं ।
मंगलवार देर शाम देहरादून पुलिस ने इन तीन छात्रों को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया ।
दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक , मुठभेड़ में मारे गए पटना के आतंकी शख्स की डायरी में इफ्तखार के देहरादून स्थित बैंक खाते का नंबर का उल्लेख है , जिससे संदेह है कि इफ्तखार को आतंकी आर्थिक मदद भी दे रहे थे ।
इफ्तखार ने पुलिस को बताया कि उसने वर्ष २००३ में पटना के बीएलपी कॉलेज से १२वीं पास की ।
इस दौरान वह पटना के किराए के मकान में रहने के दौरान आतंकी शख्स के संपर्क में आया ।
शख्स ने उसे प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया ( सिमी ) के लिए काम करने के लिए उकसाया ।
इफ्तखार ने सिमी की कई बैठकों में हिस्सा लिया ।
वर्ष २००३ में इफ्तखार देहरादून आया और उसने डॉलफिन इंस्टीटयूट ऑफ बायो मेडिकल ऐंड नेचुरल साइंस में बायो टेक्नालॅजी के चार वर्षीय कोर्स में प्रवेश लिया ।
इस दौरान उसका शख्स से संपर्क बरकरार रहा ।
पिछले साल अक्तूबर में शख्स देहरादून पहुंचा और उसने इफ्तखार को लश्कर ए ताइबा में काम करने को उकसाया ।
शख्स ने उसे शाहिद नाम का कोड दिया , ताकि इफ्तखार की पहचान छिपी रह सके ।
७३ भारतीय संगठन आठ देशों के उन ३६० निजी कंपनियों और सरकारी संगठनों में शामिल हैं जिनकी पहचान महाविनाश के हथियार में इस्तेमाल के लिए उपकरण अथवा तकनीक खरीदने वाले संगठन के रूप में की गई है ।
लंदन से प्रकाशित अंग्रेजी दैनिक ' गार्जियन ' में छपी एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है ।
ब्रिटेन की आंतरिक खुफिया एजेंसी एमआई ५ द्वारा तैयार की गई सूची की लंबाई यह दर्शाती है कि हथियारों की खरीद - फरोख्त का बाजार सामान्य अनुमान के मुकाबले काफी बड़ा है ।
अखबार के मुताबिक , भारत , ईरान , पाकिस्तान , इस्त्राइल , सीरिया और मिस्त्र के संगठनों को निर्यात के प्रति भी एमआई ५ ने आगाह किया है ।
एमआई ५ द्वारा संकलित १७ नौ के दस्तावेज में लंदन स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग समेत ९५ पाकिस्तानी संगठनों और विभिन्न सरकारी निकायों का उल्लेख है ।
इनके बारे में कहा गया है कि इन संगठनों ने देश के परमाणु कार्यक्रम में सहयोग दिया है ।
बहरहाल , इस सूची को दो साल पहले तैयार किया गया था ।
गौरतलब है कि शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र संघ की परमाणु मामले की निगरानी करने वाली संस्था अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ( आईएईए ) और इसके प्रमुख मोहम्मद अलबरदेई को संयुक्त रूप से इस साल शांति के क्षेत्र में दिए जाने वाले नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया ।
इसके मद्देनजर ही इस सूची का खुलासा किया गया है ।
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में सतलुज नदी पर निर्माणाधीन खारो पुल के बृहस्पतिवार दोपहर अचानक टूट जाने से ३३ सैन्यकर्मी और कुछ सिविलियन डूब गए हैं ।
इनमें सेना के दो अधिकारी , ३१ जवान और कुछ स्थानीय नागरिक भी शामिल हैं ।
चंडीमंदिर स्थित पश्चिमी कमान के सूत्रों ने दो अफसरों और १८ जवानों के मरने की पुष्टि की है ।
उनके मुताबिक १३ जवान लापता हैं ।
इससे पहले हिमाचल के प्रशासनिक सूत्रों ने अफसरों समेत २२ जवानों के डूबने की पुष्टि कर दी थी ।
युद्धस्तर पर बचाव कार्य शुरू कर दिए गए हैं ।
जवानों के शवों को तलाशने और राहत कार्यों के लिए पश्चिमी कमान से हेलीकॉप्टर से गोताखोर दस्ता घटनास्थल पर पहुंचा है ।
खारो वेली पुल के टूटकर बह जाने से डूबने वाले अफसरों में लेफ्टिनेंट कर्नल ए. डी. सिंह और कैप्टन बोक्किल शामिल हैं ।
नायब सूबेदार विद्याधरन भी सतलुज में बह गए हैं ।
किन्नौर के उपायुक्त अमनदीप गर्ग का कहना है कि लाशों के नाथपा - झाकड़ी के बांध में फंसे होने की संभावना है , इसलिए वहां जाल डालकर उन्हें ढूंढ़ने की कोशिश हो रही है ।
उपायुक्त ने कहा कि सतलुज के पानी का वेग बहुत अधिक है और यह पहाड़ी चट्टानों से गुजरती है , इसलिए डूबे लोगों के बचने की संभावना नहीं के बराबर है ।
सरकार ने हादसे का शिकार हुए जवानों के परिजनों को फौजी तौर पर ५० - ५० हजार रुपयों की राहत राशि देने की घोषणा की है ।
पुल टूटने के पीछे यांत्रिक कमी बताई गई है ।
खारो में निर्माणाधीन पुल के क्षतिग्रस्त होने से किन्नौर जिले में जनजीवन के पटरी पर लौटने में अब और भी समय लगेगा ।
गौरतलब है कि सतलुज नदी में २६ जून को आई बाढ़ के कारण खारो व पोआरी में बने पुल बह गए थे ।
किन्नौर जिले में जनजीवन को पटरी पर लाने और किसानों व बागवानों की नगदी फसलों को मंडियों तक पहुंचाने के मकसद से सरकार ने इन दोनों पुलों का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर जारी किया था ।
खारो में स्पैन ब्रिज के निर्माण का काम मिलिट्री इंजीनियरिंग रेजिमेंट के जिम्मे है ।
खारो पुल का निर्माण कार्य पूरा होने वाला था , मगर इससे पहले कि सेना के जवान इस पुल को जनता को समर्पित कर पाते काल के क्रूर हाथों ने उन्हें सतलुज में धकेल दिया ।
इस निर्माणाधीन पुल के काम को अंजाम देने के लिए सैनिक रोजमर्रा की तरह बृहस्पतिवार को भी खारो पहुंचे ।
दोपहर तक सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था , मगर दोपहर बाद करीब पौने एक बजे अचानक ही यह पुल टूट गया ।
खारो पुल की लंबाई दो सौ मीटर है , मगर टूटने के बाद इसका महज दस मीटर हिस्सा ही सड़क में दिखाई दे रहा है ।
पुल के निर्माण कार्य को अंजाम दे रहे चार जवान ही डूबने से बचे हैं ।
ये भाग्यशाली जवान प्रभाकरण , मुगेसकेटी , सी. सुब्रह्मण्यम व के. संजीवन हैं ।
पुल का निर्माण १८वीं इंजीनियरिंग रेजीमेंट के हवाले है ।
पुल के टूटने के कारणों का अभी तक पता नहीं चल सका है ।
इस हादसे के प्रत्यक्षदर्शी नुखू राम ने बताया कि पुल के बहने से पहले महज मामूली आवाज हुई ।
हादसे के समय पुल पर ड्यूटी दे रहे होम गार्ड के जवान टाशी डुनडुप ने बताया कि हादसे के वक्त पुल पर ३५ से ४० जवान काम कर रहे थे ।
खारो में बना यह पुल चौथी बार बहा है ।
तीन बार सतलुज की बाढ़ इसे बहा ले गई तो एक बार यह क्षतिग्रस्त हो चुका है ।
पंचकूला से मिली खबर के मुताबिक पुल टूटने की सूचना मिलते ही चंडीमंदिर स्थित पश्चिमी कमान मुख्यालय में आपातकालीन बैठक बुलाई गई ।
लखनऊ स्थित स्थानीय मुस्लिम नेताओं की ओर से धार्मिक स्थलों में विदेशियों के प्रवेश पर लगाई गई रोक को देखते हुए ब्रिटिश नागरिकों को अतिरिक्त सावधानी बरतने और शहर के पवित्र स्थलों की यात्रा स्थगित करने की सलाह दी गई है ।
विदेश विभाग की ओर से सोमवार को यह चेतावनी जारी की गई ।
इससे पहले लखनऊ स्थित हुसैनबाद ट्रस्ट ने अमेरिकी नेतृत्व वाली गठबंधन सेना द्वारा पवित्र स्थलों को अपवित्र करने और इराकियों पर अत्याचार करने के विरोध में बड़ा और छोटा इमामबाड़ा में अमेरिकी , ब्रिटिश और इस्राइली नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी ।
विदेश विभाग ने चेतावनी में अपने नागरिकों से कहा कि उन्हें ऐसे स्थलों का दौरा करते समय सतर्कता बरतनी चाहिए और उम्मीद है कि हालात सामान्य होने तक वे यात्राएं स्थगित करेंगे ।
कुछ दिन पहले तक यहां बंदूकों की आवाजें गूंजा करती थीं , लेकिन अब जम्मू - कश्मीर के उरी क्षेत्र का कमान पोस्ट नियंत्रण रेखा से बंटे राज्य का एक द्वार बन गया है ।
संभवतः इसीलिए इस ब्रिज को ' अमन सेतु ' नाम दिया गया है ।
बृहस्पतिवार को श्रीनगर - मुजफ्फराबाद बस सेवा शुरू होने से उरी के लोगों को एक नई उम्मीद मिली है ।
कमान पोस्ट के नजदीक सीमावर्ती गांव उरूसा के ७२ - वर्षीय मोहम्मद जमान ने बताया कि ' मेरा यह सपना था कि मेरे मरने से पहले यह सड़क खुल जाए और मेरा यह सपना साकार हो गया
बीते दिनों को याद करते हुए जमान ने बताया कि १९४७ से पहले वह अपने पिता के साथ तांगे में सवार होकर मुजफ्फराबाद जाया करते थे ।
वह उस दिन को कोसते हैं जब यह मार्ग बंद कर दिया ।
भावविह्वल जमान ने कहा कि राज्य के बंटवारे से पहले उरी मुजफ्फराबाद की तहसील हुआ करता था ।
उन्होंने बताया कि ' मेरे गांव में एक भी घर ऐसा नहीं है जिसके परिजन नियंत्रण रेखा के उस पार नहीं हों
लोगों ने बताया कि मुजफ्फराबाद उरी से मात्र ७० किमी दूर है ।
सुलेमान ने बताया कि ' यहां से सिर्फ एक घंटे का सफर है , लेकिन इस दूरी को पाटने में कई दशक लग गए
बहरहाल , उरी के लोग बस सेवा शुरू होने का जशन मनाएंगे ।
गौरतलब है कि कमान ब्रिज का निर्माण १८८० में हुआ था ।
१९४७ की लड़ाई के बाद जब पाकिस्तानी सैनिक पलायन कर रहे थे तो उन्होंने इस ब्रिज को क्षतिग्रस्त कर दिया और पिछले महीने तक यह ब्रिज उसी अवस्था में था ।
भारत और पाकिस्तान ने फरवरी में जब बस चलाने का निर्णय किया तो इसके बाद ही सीमा सड़क संगठन ( बीआरओ ) ने सड़क बनाने का काम शुरू किया और महज आठ घंटे में ही लकड़ी की जगह लोहे का कमान ब्रिज तैयार कर दिया गया ।
उरी के लोग बस सेवा शुरू होने से बहुत खुश हैं और संघर्ष विराम के लिए उन्होंने दोनों देश की सरकारों को धन्यवाद दिया ।
उन्होंने कहा कि संघर्ष विराम के कारण उनका जीवन सुरक्षित और जीने के काबिल हो गया है ।
बीएसएनएल के उत्तरी कश्मीर के मंडलीय अभियंता राकेश वर्मा ने बताया कि जम्मू कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के यात्रियों की सुविधा के लिए कमान पोस्ट पर सात लाइनें व सलामाबाद में दस लाइनें बिछाई गई हैं ।
यह पंद्रह दिनों की कड़ी मेहनत का नतीजा है ।
बीएसएनएल अधिकारियों ने कहा कि विश्व भर से आए मीडिया के लोगों ने भी अपनी खबरें भेजने के लिए इन्हीं टेलीफोन लाइनों का इस्तेमाल किया ।
उन्होंने कहा कि बीएसएनएल ने उरी शहर , कमान पोस्ट व सलामाबाद में मोबाइल सेवा शुरू करने के लिए भरसक कोशिश की लेकिन खराब मौसम के कारण यह योजना रद्द करनी पड़ी ।
उन्होंने कहा कि अप्रैल माह के अंत तक इन जगहों पर मोबाइल सेवा शुरू हो जाएगी ।
विदेश मंत्री के. नटवर सिंह ने कहा कि अमेरिका के पाकिस्तान को एफ - १६ विमान बेचने के निर्णय के बावजूद भारत - अमेरिकी संबंध इतने बेहतर कभी नहीं थे ।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि भारत पाकिस्तान के सभी प्रस्तावों पर विचार करने को तैयार है लेकिन वह नक्शे में तब्दीली स्वीकार करके दूसरे बंटवारे को न्योता नहीं दे सकता ।
बीबीसी वर्ल्ड को दिए एक इंटरव्यू में वह भारत का नया नक्शा बनाकर दूसरे बंटवारे की बात छोड़कर पाकिस्तान के सुझाए सभी विकल्पों को सुनने को राजी हैं ।
उन्होंने कहा कि भारत - पाक के बीच समग्र बातचीत की प्रगति काफी संतोषजनक है ।
उन्होंने कहा कि इससे पहले उन्होंने कभी भी भारत - पाक सीमा पर इतना बेहतर माहौल नहीं देखा ।
उन्होंने श्रीनगर - मुजफ्फराबाद बस सेवा के शुरू होने को काफी महत्वपूर्ण घटनाक्रम बताया ।
इसे बहुत ही सावधानीपूर्वक आगे बढ़ाना होगा और इस प्रक्रिया के लिए कोई त्वरित समाधान नहीं है ।
इसके अलावा , नटवर सिंह ने कहा कि भारत - अमेरिकी संबंध परिपक्वता के उस मुकाम पर पहुंच चुके हैं जहां हमारे मतभेद हमारे मूलभूत मित्रतापूर्ण संबंध को प्रभावित नहीं करते ।
अमेरिका के साथ भारत के संबंध नए आयाम तक पहुंचे हैं ।
यह संबंध इतने बेहतर कभी नहीं थे ।
विपक्ष में रहते हुए सिंह ने लिखा था कि भारत जैसा गुटनिरपेक्ष राष्ट्र कभी भी नाटो शक्ति वाले अमेरिका का स्वाभाविक सहयोगी नहीं हो सकता ।
अमेरिकी विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि अमेरिका भारत को २१वीं सदी की एक प्रमुख महाशक्ति के रूप में विकसित करने में मदद करना चाहता है ।
इस बयान पर अपनी असहमति जताते हुए नटवर सिंह ने कहा कि भारत एक महाशक्ति बनने की जुगत में शामिल नहीं है ।
नेपाल के हालात पर अप्रसन्नता जताते हुए उन्होंने कहा कि आपातकाल खत्म होना चाहिए ।
यह बहुत ही चिंताजनक स्थिति है ।
पुराने गीतों के नए रीमिक्स की तरह भारतीय ऋषियों के निर्देशित योग का रीमिक्स भी बाजार में पॉपुलर हो रहा है ।
हेलियोथैरेपी और ओजोनथैरेपी जैसे ट्रेंडी नाम योगाभ्यास से ज्यादा असरदार सिद्ध हो रहे हैं ।
पंचसितारा होटल की सुविधाओं से युक्त जिम और स्पा में योग को टू मिनट नूडल्स की शक्ल में परोसा जा रहा है ।
मुंबई स्थित द कटारिया स्कूल ऑफ हास्य योगा लोकप्रियता के नए रिकॉर्ड कायम कर रहा है ।
जरा एक नजर डालिए सूर्य नमस्कार के रीमिक्स पर ।
बाजार में इसके तीन रूपों ने जादू कर रखा है ।
' पॉवर योगा ' के तहत सूर्य नमस्कार को तेज गति से किया जाता है तो ' बीट योगा ' के तहत पॉप म्यूजिक की धुन पर अंगों को लय में लहराया जाता है ।
इसके एक अन्य रूप में कमरे में अगरबत्ती जलाकर या परफ्यूम बिखेरकर सूर्य नमस्कार किया जाता है ।
ऋषियों द्वारा निर्धारित सूर्य नमस्कार प्रणाली के तहत कुल बारह तरह के आसनों का विधान है ।
इन आसनों को एक बार करने में तकरीबन १० मिनट का समय लगता है ।
पर ' पॉवर योगा ' के रूप में इसे केवल ३ मिनट में ही पूरा कर लिया जाता है ।
मॉर्निंग वॉक के लिए आपकी भले नींद नहीं खुलती हो पर यदि कोई ' आनंद योग ' की बात करे तो आप जगे बिना नहीं रहेंगे ।
प्रातः भ्रमण को ' आनंद योग ' के रूप में पेश किया जा रहा है ।
योग को ऐसी शक्ल देनी होगी कि आज का व्यक्ति उसे अपना सके
आरोग्य के नए मंदिर के रूप में पनप रहे स्पा और ब्यूटी सैलून योग को ' योगिलेट ' की शक्ल में प्रस्तुत कर रहे हैं ।
दिल्ली में वीएलसीसी और ओजोन नामक स्पा में योग के आधुनिक रूप ग्राहकों के बीच अपनी पैठ बना रहे हैं ।
' ओजोन ' के योग निदेशक कहते हैं - ' हम वही दे रहे हैं जो आप चाहते हैं ।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अपने बजट को जनता के ' हितों का ध्यान रखने वाला तथा साहसी ' करार दिया ।
उन्होंने दूरसंचार , नागरिक उड्डयन और बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की क्षेत्रवार सीमा बढ़ाने के फैसले पर पुनर्विचार करने की संभावना से इनकार किया है ।
वर्ष २००४ - ०५ के लिए यूपीए सरकार के पहले बजट को पेश करने के बाद चिदंबरम ने कहा कि हमने यह दिखा दिया है कि हमारी सरकार को जनता के हितों का पूरा ध्यान है और वह साहसी फैसले लेने से पीछे नहीं हटती ।
उन्होंने कहा कि हम कृषि , ग्रामीण अर्थव्यवस्था तथा ढांचागत सुविधाओं के क्षेत्र में पेश आने वाली समस्याओं को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं ।
इसके लिए हम काम के बदले अनाज कार्यक्रम जैसी योजनाएं शुरू कर रहे हैं ।
उदारीकरण की राह में आगे कदम बढ़ाकर हमने साहसी फैसला लिया है ।
वित्त मंत्री ने कहा कि एफडीआई तथा पूंजी बाजार के संबंध में हमने साहसी निर्णय लिए हैं ।
उन्होंने कहा कि दूरसंचार या नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में बंदिशें कम करने के मुद्दे पर उन्हें किसी प्रकार की समस्या पेश आने की आशंका नहीं है ।
हमने सिर्फ इन प्रावधानों को पारदर्शी बना दिया है ।
अब पूरा ७४ फीसदी एफडीआई प्रत्यक्ष और पारदर्शी ढंग से होगा ।
यह पूछने पर कि क्या उन्हें यह चिंता सता रही है कि एफडीआई की सीमा बढ़ाने से वामपंथी दल उन्हें निशाना बना सकते हैं , चिदंबरम ने कहा कि हमें हल्की आलोचना की उम्मीद है ।
मैं उनके नेताओं से बातचीत करूंगा ।
फिलहाल इससे निपटने के लिए इसी तरह के विकल्पों पर विचार कर रहा हूं ।
इस सवाल पर कि क्या एफडीआई सीमा बढ़ाने के फैसले पर पुनर्विचार करने की संभावना है , उन्होंने कहा कि काफी विचार - विमर्श के बाद यह फैसला किया गया है ।
इसमें प्रधानमंत्री भी शामिल थे ।
हमने क्षेत्रों की जरूरतों पर विचार किया और उसके बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि राष्ट्रहित में यह जरूरी है ।
मेरा मानना है कि ४० और ४९ फीसदी में कोई खास अंतर नहीं है ।
प्राचीन ' ग्रेट अंडमानीज ' आदिवासी सुनामी लहरों के कहर से बच गए ।
उन्होंने पहाड़ी जंगलों में शरण लेकर अपनी जान बचाई ।
केवल पचास रह गए इन आदिवासियों ने अपनी पुरानी परंपराओं को खुद ही खुशी - खुशी छोड़ दिया है ।
इसके चलते इस आदिवासी जनजाति का क्षरण हो रहा है ।
जो परंपराएं इन्हें बाहर की दुनिया से अलग पहचान देती हैं ।
ये उसी बाहर की दुनिया के लिए अपनी पहचान खोते जा रहे हैं ।
पहली बार खुद ग्रेट अंडमानीज के राजा ने भी ये बातें स्वीकार की हैं ।
पोर्ट ब्लेयर के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती ग्रेट अंडमानीज जनजाति के राजा जिरोकी ने बताया कि सुनामी में उनकी जनजाति का कोई हताहत नहीं हुआ है ।
हम पांच दिन तक जंगलों में शरण लिए रहे ।
इसके बाद हमें भूखे रहना पड़ा
ग्रेट अंडमानीज किसी समय में क्षेत्र का सबसे बड़ा आदिवासी समूह था ।
१७८९ में इनकी अनुमानित जनसंख्या १०,००० थी ।
राहत और बचाव कर्मी स्ट्रेट द्वीप के जंगलों में रहने वाले ग्रेट अंडमानीज आदिवासियों को पिछले हफ्ते ही पोर्ट ब्लेयर लाये ।
इस मौके का फायदा उठाते हुए इनके राजा जिरोकी ने यहां मिरगी का इलाज कराया ।
लाल टी - शर्ट और शॉर्टस पहने जिरोकी टूटी - फूटी हिंदी में बताते हैं कि झटके से उनके घर हिलने लगे ।
इसके बाद मैंने सभी को भागने के निर्देश दिए ।
मैं राजा हूं ।
मैं जैसा कहूंगा उन्हें वैसा ही करना होगा ।
कुछ मानवशास्त्रियों की अटकलों के विपरीत सुरमई कहती हैं , उन्हें इस प्राकृतिक आपदा का किसी तरह का पूर्वाभास नहीं हुआ ।
ग्रेट अंडमानीज सुनामी के आने के खतरे को भांप नहीं पाए ।
मानवशास्त्रियों का कहना है कि ग्रेट अंडमानीज ऐसे लोगों का बेहतरीन उदाहरण हैं , जो कि बाहरी दुनिया के संपर्क में आकर अपनी सदियों पुरानी परंपराओं व संस्कृति को भूल चुके हैं ।
स्वतंत्र अंडमान निकोबार सोसाइटी के प्रमुख समीर आचार्य ने बताया कि उन्होंने इन आदिवासियों का बारीकी से अध्ययन किया है ।
इनमें अपनी पुरानी परंपराओं का कोई भी चिन्ह नजर नहीं आता ।
वह अपनी हर खूबी भूल चुके हैं ।
उनके कई साथी पुलिस व सरकारी नौकरियों में हैं ।
आदिवासी नेता ने माना कि उनकी जिंदगी उनके पूर्वजों की जीनवशैली से एकदम बदल चुकी है ।
अब वह तीर - कमान इस्तेमाल नहीं करते बल्कि भाले से मछलियों व सूअरों का शिकार करते हैं ।
ग्रेट अंडमानीज परंपरागत रूप से जड़ें , समुद्री भोज्य पदार्थ , कछुए व उनके अंडे खाते हैं ।
लेकिन , पिछले कुछ सालों में उन्होंने शेष भारतवासियों की तरह चावल , दाल व रोटी खाना शुरू किया है ।
नुकसान देह पेय पीकर वे तरह - तरह की बीमारियों को न्योता दे रहे हैं ।
इस तरह अन्य भारतीयों के संपर्क में आकर ग्रेट अंडमानीज अपने ही अस्तित्व को खतरे में डाल रहे हैं ।
आदिम जनजाति में आ रहे बदलाव की झलक ग्रेट अंडमानीज के राजा और उनकी पत्नी की जिंदगी में भी दिखाई दे रही है ।
सुरमई को पोर्टब्लेयर रास नहीं आया ।
उन्होंने कहा , ' मैं वापस जाना चाहती हूं ।
मुझे यहां अच्छा नहीं लग रहा है ।
मैं जंगलों में रहने की आदी हूं
लेकिन , उनके पति जिरोकी इससे असहमत थे ।
वह कहते हैं बाहरी दुनिया के संपर्क में आकर अच्छा लग रहा है ।
इससे पहले हमारा सारा ध्यान शिकार पर था ।
अंडमान निकोबार के दक्षिणी द्वीप स्ट्रैट में रहने वाले इन आदिवासियों के राजा जिरोकी को पहली बार सरकारी अस्पताल में अपनी मिरगी का इलाज कराने का मौका मिला ।
आज भी कम से कम पांच झटके इस इलाके में महसूस किए गए ।
इनसे जान - माल के नुकसान की खबर नहीं है ।
रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता ३.१ रिकार्ड की गई ।
यहाँ नौ सेकेंड तक भूकंप के झटके महसूस किए गए ।
इसका केंद्र स्पोर्ट सिटी के ७३ किलोमीटर दूर स्थित था ।
मौसम विभाग के अनुसार अंडमान व निकोबार में शुक्रवार रात १२.२१ बजे रिक्टर पैमाने ५.२ की तीव्रता के साथ भूकंप का झटका महसूस किया गया ।
इसका केंद्र ग्रेट निकोबार द्वीप के पश्चिमी तट की ओर था ।
इसके बाद शनिवार सुबह ८.१९ बजे रिक्टर पैमाने पर ५ की तीव्रता के साथ दूसरा झटका लगा जिसका केंद्र उत्तरी अंडमान था ।
दिन में ११.०० बजे के करीब ५.२ की तीव्रता के साथ तीसरा झटका महसूस किया गया जिसका केंद्र लिटिल अंडमान का पश्चिमी तट था ।
इसके थोड़ी देर बाद सुमात्रा के पश्चिमी तट पर ५.० की तीव्रता का भूकंप रिकॉर्ड किया गया ।
आज शाम ६.०० बजे दक्षिण अंडमान के पूर्वी केंद्र में रिक्टर पैमाने पर ५.३ की तीव्रता का एक अन्य झटका महसूस किया गया ।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बेचैन दिल्लीवासियों को राहत देते हुए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने देर रात राजधानी के मास्टर प्लान , २००१ में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी , जिसमें रिहायशी क्षेत्रों में मिक्सलैंड यूज के प्रस्ताव को अनुमति दी गई है ।
इसके तहत राजधानी के ११८ मार्गों पर रिहायशी परिसरों के भूतल पर व्यावसायिक गतिविधियों को वैधता प्रदान की जाएगी ।
इससे लगभग दो लाख दुकानदारों को राहत मिलने की संभावना है ।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर २९ मार्च से रिहायशी इलाकों में चल रही व्यावसायिक गतिविधियों को बंद किए जाने की कार्रवाई शुरू होनी है ।
इस मामले में एमसीडी के प्रवक्ता दीप माथुर का कहना है कि निगम सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बंधा हुआ है ।
सीलिंग की कार्रवाई के लिए निगम ने ५५ टीमें गठित की हैं जो बुधवार से कार्रवाई शुरू करेंगी ।
रिहायशी क्षेत्रों में भूतल पर जो दुकानें चल रही हैं उनको नहीं छेड़ा जाएगा लेकिन ऊपर के फ्लोर को सील किया जाएगा ।
इसका हवाला अधिसूचना में भी दिया गया है ।
केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री अजय माकन ने अधिसूचना जारी करने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि १९६२ के मास्टर प्लान में डेढ़ सौ व्यक्तियों के बीच एक दुकान का प्रावधान किया गया था ।
अभी तक की जानकारी के अनुसार इसकी २० फीसदी दुकानें ही हैं ।
आवश्यकता के मुताबिक अस्सी फीसदी दुकानों की कमी है ।
इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि दिल्ली में दुकानों की कमी पूरी करने के लिए मिश्रित भू उपयोग की नीति को लागू किया जाए ।
उन्होंने बताया कि मिश्रित लैंडयूज प्रस्ताव पर रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन की आपत्तियों को नजरंदाज नहीं किया गया है और इसमें भूतल पर बनी छोटी दुकानों को शत - प्रतिशत अनुमति प्रदान की गई है ।
अधिसूचना से बड़े शोरूम को कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है ।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी आदेश में छोटे दुकानदारों को राहत दी है ।
सिर्फ बड़ी दुकानों को ही बंद करने का आदेश दिया है ।
इसमें भी १८९ में से ११८ मार्गों को ही राहत दी गई है ।
अधिसूचना के मुताबिक १८ मीटर वाली रोड पर व्यावसायिक गतिविधियों की अनुमति होगी ।
कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स , दिल्ली संघर्ष मोर्चा , फेडरेशन ऑफ दिल्ली ट्रेड एसोसिएशन और फोरम ऑफ दिल्ली ट्रेड एसोसिएशन सहित अन्य प्रमुख संगठनों ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा मिश्रित लैंडयूज की अधिसूचना का स्वागत किया है ।
इस संबंध में कन्फेडरेशन के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि अधिसूचना जारी होने से कुछ हद तक व्यापारियों को राहत मिल सकेगी ।
लेकिन व्यापारियों का आंदोलन तब तक जारी रहेगा , जब तक दिल्ली के पाँच लाख व्यापारियों और उनसे जुड़े सौ लाख से अधिक लोगों से भय का वातावरण समाप्त नहीं हो जाता ।